एक ई-मेल से सन फार्मा के मालिक के डूबे 10 हजार करोड़ रुपए, जानें पूरा मामला?

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 04:19 PM (IST)

मुंबईः देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मा के मालिक को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल शेयर बाजार रेग्यूलेटर सेबी को एक ई-मेल मिला है। इसमें कंपनी में पैसों के लेन-देन की बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। मीडिया में ये खबर आने के बाद कंपनी के शेयरों भारी गिरावट देखने को मिली। शेयर सोमवार को 10 फीसदी तक लुढ़क गया। ऐसे में कंपनी के मालिक दिलीप सांघवी के 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा डूब गए।

जानें क्या है पूरा मामला?
व्हिसिलब्लोअर ने सेबी को भेजे ई-मेल में सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज के फाउंडर-मैनेजिंग डायरेक्टर दिलीप सांघवी पर और उनके रिश्तेदार सुधीर वालिया पर धर्मेश दोशी के साथ वित्तीय अनियमितता में लिप्त होने का आरोप लगाया है। व्हिसलब्लोअर ने लिखा है कि सन फार्मा के शुरूआती एफसीसीबी से बड़ा फंड तैयार करने के बाद ग्रुप (दोशी, वालिया, सांघवी और सन फार्मा) ने एफसीसीबी कन्वर्जन या एफसीसीबी कन्वर्जन से मिले पैसे से दूसरी कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी खरीदना शुरू किया।

व्हिशलब्लोअर ने मार्केट रेग्युलेटर सेबी को भेजे 150 पेज के लेटर में कई आरोप लगाए। सेबी ने 2001 में शेयर बाजार में हुए स्कैम के बाद धर्मेंद्र दोशी और केतन पारेख को मार्केट से बैन कर दिया था। दोशी, पारेख के पुराने सहयोगी हैं। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में व्हिशलब्लोअर की सत्यता की पुष्टि नहीं की गई है। एक वेबसाइट मनीलाइफ ने सेबी को भेजी गई इस शिकायत को शनिवार को पब्लिश किया था। केतन पारेख स्कैम में धर्मेश दोशी का नाम आया था।

शिकायत के मुताबिक, वर्ष 2002-07 के दौरान सन फार्मा ने फॉरेन करंसी कन्वर्टिबल बॉन्ड्स (FCCB) के कई बड़े राउंड्स में भारी अनियमितताएं की थीं, जिनका प्रबंधन जेरमिन कैपिटल एलएलसी ने किया था। केतन पारेख स्कैम पर वर्ष 2001 में सेबी द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक, ‘इस स्कैम में जेरमिन कैपिटल एलएलसी, जेरमिन कैपिटल पार्टनर्स और धर्मेश दोशी/केतन पारेख के बीच संबंध सामने आए हैं।

ऐसे हुई थी FCCBs की डील
व्हिसलब्लोअर ने आरोप लगाए, ‘इन FCCBs के लिए शुरुआती तौर पर बोमिन फाइनेंस लिमिटेड, फर्स्ट इंटरनैशनल ग्रुप, ऑर्बिट इन्वेस्टमेंट और सन ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ने सब्सक्राइब किया था। हालांकि बाद में हुए ट्रांजेक्शंस के माध्यम से इन्हें ऑरेंज मॉरिशस इन्वेस्टमेंट लि. और हिपनॉस फंड लि. को अलॉट कर दिया गया था।

इस मामले पर सन फार्मा के मालिक दिलीप सांघवी ने कहा कि हम विश्वसनीयता और कॉरपोरेट गवर्नेंस को फिर से स्थापित करने के लिए काम करेंगे। इसके लिए पहले के कुछ फैसलों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें वापस भी लिया जा सकता है। इनमें कर्मचारियों और अन्य को 25 करोड़ डॉलर का कर्ज देने का फैसला भी शामिल है।


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jyoti choudhary

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