सरकारी तेल कंपनियां 2019 तक बनाएंगी 5000 नए LPG डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स

punjabkesari.in Saturday, Dec 02, 2017 - 12:54 PM (IST)

नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियां तेजी से बढ़ते उपभोक्‍ता आधार तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एक साल के भीतर अपने एलपीजी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क में एक तिहाई की वृद्धि करने का लक्ष्‍य लेकर चल रही हैं। खासकर यह नेटवर्क विस्‍तार ग्रामीण इलाकों में अधिक होगा।

LPG के इस्तेमाल में शानदार बढ़ोतरी
पिछले तीन सालों में रसोई गैस इस्तेमाल में शानदार बढ़ोतरी देखी गई है लेकिन इसकी तुलना में डिस्‍ट्रीब्‍यूशन नेटवर्क में विकास नहीं हुआ है। 1 अप्रैल 2015 से लेकर इस साल के सितंबर महीने तक घरेलू रसोई गैस उपभोक्ताओं की संख्या 21.4 करोड़ यानि 44 फीसदी बढ़ी है जबकि एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स की संख्या सिर्फ पांच फीसदी बढ़कर 19200 तक ही पहुंची है। तेल मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सरकार अब तेल कंपनियों को नए डिस्ट्रीब्यूटर्स को नियुक्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कह रही है कि वह जल्दी से परिचालन में आ जाएं। अधिकारी ने बताया कि मार्च 2019 तक हमारे पास 5000 से अधिक नए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स होंगे।

2000 नए लाइसेंस जारी
सरकार पहले ही 2000 नए लाइसेंस जारी कर चुकी है। इसके अलावा तरकीबन 600 आवेदकों का चयन लॉटरी के जरिए किया जा चुका है और मार्च 2018 तक अन्‍य 3400 आवेदकों का चयन किया जाएगा। आम तौर पर तेल कंपनी से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद आवेदक के लिए रसोई गैस वितरण एजेंसी स्थापित करने के लिए 1 साल का समय लग जाता है जिसमें कई स्थानीय नियामक मंजूरी प्राप्त करने से लेकर एक कार्यालय और गोदाम को तैयार करना शामिल है।

उपभोक्ताओं को होती है यह परेशानी
नए डिस्ट्रीब्यूटर्स मुख्य रूप से उन क्षेत्रों से आ रहे हैं यहां डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमी है और यहां नए रसोई गैस उपभोक्ताओं में वृद्धि देखी गई है। नए डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स विशेषकर उत्‍तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और महाराष्‍ट्र में बनाए जाएंगे, क्‍योंकि इन्‍हीं राज्‍यों में उपभोक्‍ताओं की संख्‍या सबसे ज्‍यादा बढ़ी है। नए एलपीजी उपभोक्ता ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से या फिर पिछड़ी पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं। रसोई गैस खत्म होने पर उपभोक्ताओं के लिए दूर की रसोई गैस एजेंसियों पर जाना मुश्किल होता है। इन क्षेत्रों में डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा दी जाती सेवाएं कमजोर होती हैं मुख्य रूप से सिलेंडरों की होम डिलीवरी तो दूर की बात होती है जिससे उपभोक्ताओं को खाना पकाने के लिए गैस का इस्तेमाल करना मुश्किल और महंगी हो जाता है।


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