Gensol Engineering पर SEBI की बड़ी कार्रवाई, प्रमोटरों पर भी कसा शिंकजा

punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 12:21 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः इलेक्ट्रिक वाहनों की आड़ में लिए गए भारी-भरकम लोन को निजी संपत्ति खरीदने और व्यक्तिगत खर्चों में खर्च करने का मामला सामने आने के बाद, जेनसोल इंजीनियरिंग (Gensol Engineering) और उसके प्रमोटरों पर बड़ा शिकंजा कसा है। SEBI की जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी के लोन फंड्स का इस्तेमाल गुरुग्राम की लग्जरी प्रॉपर्टी The Camellias में फ्लैट खरीदने के लिए किया गया। इसके अलावा EV खरीद योजना में भी 200 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला पाया गया है।

मंगलवार को जारी अंतरिम आदेश में SEBI ने कंपनी के CEO अनमोल सिंह जग्गी और निदेशक पुनीत सिंह जग्गी को सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें किसी भी मैनेजरियल पद से भी हटा दिया है।

स्टॉक स्प्लिट पर रोक और फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश

SEBI ने कंपनी द्वारा घोषित स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही रेगुलेटर ने इसके खातों और संबंधित सभी पक्षों के खातों की जांच करने के लिए एक फोरेंसिक ऑडिटर की नियुक्ति का भी निर्देश दिया है।

लग्जरी फ्लैट में डाइवर्ट हुआ फंड

जांच में सामने आया है कि कंपनी के लोन फंड्स का इस्तेमाल गुरुग्राम के DLF ‘The Camellias’ में 5 करोड़ रुपए का फ्लैट खरीदने और प्रमोटरों के निजी खर्चों के लिए किया गया। SEBI को पहली शिकायत जून 2024 में मिली थी, जिसमें फंड डायवर्जन और शेयर प्राइस में हेराफेरी के आरोप लगाए गए थे।

EV लोन में घोटाला

SEBI की जांच मुख्य रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए जेनसोल द्वारा उठाए गए 663.89 करोड़ रुपए के लोन के इर्द-गिर्द रही है, जिसमें से केवल 4,704 EV वास्तव में 567.73 करोड़ रुपए में खरीदे गए थे। इससे 200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का हिसाब नहीं मिल पाया। लोन की राशि एक डीलर गो-ऑटो प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर की गई, जिसने वह राशि प्रमोटरों से जुड़ी अन्य कंपनियों में भेज दी।

क्रेडिट रेटिंग में गिरावट 

मार्च 2025 में जेनसोल की क्रेडिट रेटिंग को ‘D’ कर दिया गया था, जब एजेंसियों ने समय पर भुगतान में चूक की बात कही। SEBI को पता चला कि जेनसोल ने सरकारी उधारदाताओं जैसे IREDA और पावर फाइनेंस को फर्जी डेट सर्विसिंग दस्तावेज सौंपे थे।

शेयरहोल्डिंग और निवेशकों की स्थिति

एक समय में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 70% से अधिक थी, जो अब घटकर 35% रह गई है। इसमें से 75.74 लाख शेयर IREDA के पास गिरवी रखे गए हैं। इस बीच, 65% से ज्यादा हिस्सेदारी खुदरा निवेशकों के पास है, जो अब सबसे ज़्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

भ्रामक दावे और अधूरी घोषणाएं

जनवरी 2025 में कंपनी ने दावा किया था कि उसे 30,000 EV के प्री-ऑर्डर मिले हैं, जबकि वास्तव में सिर्फ 29,000 यूनिट्स के लिए गैर-बाध्यकारी MoUs थे। इसके अलावा, ₹315 करोड़ की रणनीतिक साझेदारी की घोषणा भी बाद में बिना किसी अपडेट के मार्च में वापस ले ली गई।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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