डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर, क्या शुरू होगी रिकवरी या जारी रहेगी गिरावट?

punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 01:34 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः पिछले कुछ समय में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हुआ है। एक साल में यह करीब 5 प्रतिशत से अधिक गिर चुका है। अमेरिकी नीतिगत निर्णय और भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ के दबाव ने रुपया पर असर डाला। हालांकि, शुक्रवार को रुपया मजबूत रुख के साथ कारोबार कर रहा था, जिसे आरबीआई के रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने के फैसले से समर्थन मिला।

ब्लूमबर्ग के अनुसार, रुपया शुरुआती कारोबार में 88.68 प्रति डॉलर पर खुला और बाद में गिरकर 88.72 तक पहुंच गया। इस साल अब तक रुपया 3.59 प्रतिशत कमजोर हो चुका है, जबकि मंगलवार को यह 88.80 के ऑल टाइम लो तक जा पहुंचा था।

फिनरेक्स ट्रेजरी के निदेशक अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, पिछले एक साल में अमेरिकी नीतिगत निर्णय, टैरिफ तनाव, वैश्विक अनिश्चितताएं, पूंजी निकासी और सोने के आयात ने रुपए को दबाया। उन्होंने निर्यातकों और आयातकों को 88.70-88.80 के स्तर पर लेन-देन करने की सलाह दी और कहा कि विकल्प रणनीतियों से अस्थिरता को संभाला जा सकता है।

स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख संतोष मीणा का कहना है कि सभी की नजरें अमेरिका-भारत ट्रेड संबंधों पर टिकी हैं। रुपया यदि 89 के नीचे टूटता है, तो बाजार की धारणा पर और नकारात्मक असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि डॉलर इंडेक्स, अमेरिकी मैक्रो डेटा और कच्चे तेल की कीमतें शॉर्ट टर्म में बाजार की दिशा तय करेंगी, वहीं विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) के प्रवाह का भी प्रमुख असर होगा।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा कि भारतीय रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसका मकसद व्यापारिक लेन-देन में विदेशी मुद्रा पर निर्भरता कम करना और रुपए का वैश्विक उपयोग बढ़ाना है। इससे रुपए की मजबूती, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुविधा और भारत की वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी। आरबीआई ने यह भी संकेत दिया कि ये प्रयास क्रमिक और सस्टेनेबल होंगे ताकि रुपए का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भरोसेमंद विकल्प बनने की प्रक्रिया मजबूत रहे।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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