रबड़ उत्पादन में आई गिरावट, महंगे हो सकते हैं टायर

punjabkesari.in Friday, Jul 13, 2018 - 01:32 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः इस वित्त वर्ष के पहले 2 महीनों में रबड़ का उत्पादन 16 प्रतिशत कम होने का साधा असर टायरों व रबड़ के अन्य उत्पादों पर पड़ सकता है। रबड़ के उत्पादों के निर्माण में अधिकतर खर्च कच्चे माल पर होता है और कच्चा माल महंगा होने से इसकी कीमतें बढऩे की आशंका पैदा हो गई है। रबड़ बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि इन 2 महीनों में उत्पादन 82,000 टन रहा, जबकि अप्रैल-मई 2017 में यह 98,000 टन था। दूसरी तरफ समान अवधि में खपत 13 प्रतिशत बढ़कर 2,00,000 टन हो गई है। इस पर टिप्पणी के लिए रबड़ बोर्ड के अधिकारी उपलब्ध नहीं थे। उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को इस संबंध में कदम उठाने के लिए लिखा है। 

25 प्रतिशत लगता है शुल्क
एटमा के महानिदेशक राजीव बुद्धराजा ने कहा कि जहां एक ओर घरेलू मांग पूरी करने के लिए प्राकृतिक रबड़ का आयात अत्यावश्यक है, वहीं दूसरी ओर नीति संबंधित परिस्थितियां बहुत बाधक हैं। 25 प्रतिशत का बड़ा सीमा शुल्क (प्राकृतिक रबड़ पर) लगता है। इसके अलावा और भी चुनौतियां हैं। निर्यात (टायर का) के एवज में प्राकृतिक रबड़ का आयात करने के लिए उद्योग को आयात से पहले की शर्त पूरी करनी होती है। इसके अलावा निर्यात बाध्यता की यह अवधि (टायर के लिए) 18 महीने से घटाकर केवल 6 महीने कर दी गई है।

उद्योग सभी पाबंदियां हटाने के पक्ष में
केन्द्र सरकार ने प्राकृतिक रबड़ के आयात पर पहले लगने वाली बंदरगाह संबंधी कुछ पाबंदियां हटा दी हैं लेकिन उद्योग बंदरगाह संबंधी सभी पाबंदियां हटवाना चाहता है। इसके अलावा उद्योग घरेलू उत्पादन और खपत के अंतर की भरपाई के लिए शून्य शुल्क भी चाहता है। एटमा ने प्राकृतिक रबड़ के आंकड़ों की समय पर उपलब्धता में कमी को लेकर भी चिंता जताई है, जिससे टायर उद्योग को योजना तैयार करने में रुकावट आती है।' 


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jyoti choudhary

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