नोटबंदी के बाद सहकारी बैंकों में घपलों से RBI अंजानः आरटीआई

punjabkesari.in Monday, Jan 16, 2017 - 05:37 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद से ही सहकारी बैंक घपलों की वजह से काफी चर्चाओं में रहे हैं। जब आरबीआई से इस मामले में जानकारी लेने की कोशिश की गई तो आरबीआई ने स्वीकारा कि उसके पास सहकारी बैंकों में हुए किसी घोटाले या अनियमितता की जानकारी नहीं है। आरटीआई से मिली एक जानकारी में इसका खुलासा हुआ है।

घपलों में बड़े बैंक अधिकारी थे शामिल
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने 8 नवंबर से 10 दिसंबर 2016 के बीच राज्य सहकारी बैंकों में हुए घोटालों की जानकारी मांगी थी। गलगली ने बताया कि आरबीआई पास ऐसे कोई आंकड़े नहीं है जो राज्य या जिला सहकारी बैंकों में नोट बदलने में हुए घोटालों के उसके खुद के निष्कर्ष को सही ठहराता हो। गौरतलब है कि नोटबंदी के 6 दिनों बाद ही सरकार ने अपने फैसले को पलटते हुए राज्य और जिला सहकारी बैंकों से रुपए बदलने पर रोक लगा दी थी। राज्य और जिला सहकारी बैंकों और उसके अधिकारियों पर बड़े पैमाने में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोपों के बाद ऐसा किया गया था।

किसानों और ग्रामीणों पर पड़ा ज्यादा असर
सरकार के इस फैसले का असर लाखों किसानों और ग्रामीण और कस्बों में रहने वाले ऐसे लोगों पर पड़ा था जो बैंकिंग के लिए सहकारी बैंकों पर निर्भर थे। इस मामले पर काफी राजनीतिक विवाद भी देखने को मिला था। गलगली ने बताया कि उन्होंने सहकारी बैंकों पर बीजेपी के नेताओं की तरफ से लगाए गए आरोपों की हकीकत जानने के लिए तथ्यों की मांग की थी।

आंकड़े नही हैं उपलब्ध  
आरबीआई के जन सूचना अधिकारी एजी रे ने जानकारी में बताया कि राज्य और जिला सहकारी बैंकों से जुड़े ऐसे कोई आंकड़े फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने हैरत जताते हुए कहा कि सहकारी बैंकों पर आरोप कल्पना के आधार पर लगाए गए और उन्हें नोटबंदी के बाद की पूरी कवायद से बाहर रखा गया। गलगली ने दावा किया कि इस कदम से एक बड़ी गैर शहरी आबादी को समस्या झेलनी पड़ी।


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