RBI Action: 3 NBFC के रजिस्‍ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द, 9 ने सरेंडर किए लाइसेंस

punjabkesari.in Sunday, Feb 11, 2024 - 11:02 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इन दिनों सख्त कार्रवाई के मूड में है। पहले पेटीएम पेमेंट्स बैंक का लाइसेंस कैंसिल किया गया और फिर महाराष्ट्र के एक कोऑपरेटिव बैंक के कामकाज करने पर रोक लगा दी गई। अब शनिवार को आरबीआई ने तीन एनबीएफसी (NBFC) के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द कर दिए हैं। आरबीआई की सख्ती की मार भारथु इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस इंडिया, कॉक्स एंड किंग्स फाइनेंशियल सर्विस और पीएसपीआर एंटरप्राइजेज पर पड़ी है। इसके साथ ही 9 एनबीएफसी और हाउसिंग कंपनी ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं।

इन NBFC और हाउसिंग कंपनी ने लाइसेंस किया सरेंडर

रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि 9 एनबीएफसी और एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं। इनमें रिलायंस होम फाइनेंस (Reliance Home Finance) लिमिटेड भी शामिल है। कंपनी ने हाउसिंग फाइनेंस इंस्टीट्यूशन बिजनेस से बाहर निकलने के बाद लाइसेंस वापस करने का फैसला लिया है। लाइसेंस सरेंडर करने वाली 9 एनबीएफसी में स्माइल माइक्रोफाइनेंस, जेएफसी इम्पेक्स, कावेरी ट्रेडफिन और गिन्नी ट्रेडफिन कारोबार से बाहर हो गए हैं। इसके अलावा जेजी ट्रेडिंग एंड इनवेस्टमेंट, एसके फिनसर्व, माइक्रोफर्म कैपिटल, बोहरा एंड कंपनी और महिको ग्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए। इन सभी कंपनियों ने अलग-अलग कारण बताए हैं।

NBFC की संख्या 200 से कम होकर 26 हुई

आरबीआई के मुताबिक, इन एनबीएफसी में नियमों का उचित पालन नहीं हो रहा था। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। केंद्रीय बैंक ने कहा कि एनबीएफसी कुछ खास इकोनॉमिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बनाई जाती हैं। इनके द्वारा बैंक जैसा बनने की मांग करना अस्वाभाविक है। आरबीआई अधिक संख्या में एनबीएफसी को जमा स्वीकार करने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है। यही वजह है कि एक भी नया लाइसेंस नहीं दिया गया है। साथ ही जमा स्वीकार करने वाली एनबीएफसी की संख्या 200 से कम होकर अब केवल 26 रह गई है।

फाइनेंशियल सेक्टर में आ रहे रेगुलेटरी बदलाव

आरबीआई के इन फैसलों से साफ पता चल रहा है कि फाइनेंशियल सेक्टर में रेगुलेटरी बदलाव आ रहे हैं। आरबीआई लूपहोल बर्दाश्त करने के मूड में बिलकुल भी नहीं है। यही वजह है कि कई कंपनियों ने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं। केंद्रीय बैंक के ये कदम रेगुलेटरी नियमों का पालन जिम्मेदारी से करने और फाइनेंस कंपनियों को जवाबदेह बनाकर फाइनेंशियल सिस्टम को स्वस्थ और स्थिर बनाए रखने के लिए हैं।


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Content Writer

jyoti choudhary

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