RBI: बैंकों का सकल NPA सितम्बर में बढ़कर 9.1% हुआ

punjabkesari.in Friday, Dec 30, 2016 - 11:02 AM (IST)

नई दिल्ली: काले धन पर लगातार जारी बहस के बीच रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बुराई पर अंकुश का सबसे बेहतर तरीका यह है कि कामकाज का संचालन तथा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जाए, अत्यधिक नियमनों से बचा जाए, कड़ा जुर्माना लगाया जाए और कर ढांचा अनुकूल हो।

दुनिया के उदाहरण देते हुए रिजर्व बैंक द्वारा जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट वित्तीय ताकत रेटिंग (एफ.एस.आर.) में कहा गया है कि व्यक्तिगत आयकर की दर में 1 प्रतिशत की वृद्धि से समानांतर अर्थव्यवस्था का आकार 1.4 प्रतिशत बढ़ता है। वहीं नियमन सूचकांक में 1 प्रतिशत की बढ़ौतरी से काली या समानांतर अर्थव्यवस्था 10 प्रतिशत बढ़ती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि काली अर्थव्यवस्था पर अंकुश का सबसे अच्छा तरीका संचालन तथा सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार, अत्यधिक नियमनों से बचाव, कड़ा जुर्माना तथा अनुकूल कर ढांचा है। इसमें आगे कहा गया है कि छद्म अर्थव्यवस्था की एक और बड़ी समस्या यह है कि इससे आधिकारिक आंकड़े विश्वसनीय नहीं दिखते जिससे सरकारों की नीतियां बनाने की योजना प्रभावित होती है।

इसके अलावा बैंकिंग क्षेत्र की आस्तियों की गुणवत्ता भारी दबाव में है और बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जी.एन.पी.ए.) सितम्बर में बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गईं जो कि मार्च में 7.8 प्रतिशत थीं। इससे बैंकों के कुल फंसे अग्रिमों का अनुपात 11.5 प्रतिशत से बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया।


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