पटरी पर लौट रही है अर्थव्यवस्था: फिक्की सर्वेक्षण

punjabkesari.in Sunday, Apr 30, 2017 - 04:33 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर असर अनुमान के मुकाबले काफी तेजी से कम हुआ है और उद्योग जगत का भरोसा अर्थव्यवस्था के प्रति बढऩे लगा है क्योंकि अधिकांश कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कारोबार में बढौतरी की उम्मीद जताई है। उद्योग संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की नई बिजनेस कॉन्फिडेंस सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह दावा करते हुए कहा गया है कि नोटबंदी का असर तेजी से कम हुआ है और अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने से कॉरपोरेट सेक्टर के लिए हालात अब सामान्य होने लगा है।  

सर्वेक्षण में कारोबार जगत का भरोसा नए सिरे से बढ़ता देखा गया है जो पिछली 8 तिमाहियों में सबसे ज्यादा है जबकि पिछले सर्वेक्षण में इसमें गिरावट देखी गई थी क्योंकि नोटबंदी से मांग कमजोर पडऩे की वजह से भरोसा घटना था। इसमें भाग लेने वाली कंपनियों के अनुसार नोटबंदी के बाद की स्थितियों और प्रदर्शन में सुधार हुआ है तथा अगले 6 महीनों में उन्हें बेहतर कारोबार की उम्मीद है। यह मौजूदा साल में बेहतर आर्थिक वृद्धि का पूर्व सूचक भी हो सकता है। 

फिक्की यह सर्वेक्षण हर तिमाही में करता है जिसमें सभी सेक्टर और पूरे देश की कंपनियां शामिल होती हैं। यह नया मार्च-अप्रैल 2017 में किया गया है और इसमें करीब 185 कंपनियों ने हिस्सा लिया है। 

रिपोर्ट के मुताबिक इसमें भाग लेने वाली करीब 54 फीसदी कंपनियां यह मानती हैं कि पिछले 6 महीनों की तुलना में मौजूदा आर्थिक स्थितियां बेहतर हुई है तथा 79 फीसदी कंपनियां यह उम्मीद करती हैं कि अगले 6 महीनों में अर्थव्यवस्था और बेहतर होगी। इसमें कहा गया है कि नोटबंदी के बाद डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिए जाने तथा लेसकैश अर्थव्यवस्था को कंपनियों ने तेजी से अपनाया है। इसमें शामिल हर 10 कंपनियों में से करीब 7 ने कहा कि डिजिटल भुगतान का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए उन्होंने योजनाएं बनाई हैं। सभी वेंडरों और कर्मचारियों को भी डिजीटली तरीके से भुगतान पर जोर दिया गया है। 

सर्वेक्षण में शामिल 65 फीसदी कंपनियों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में हो रहे सुधार के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उनका कारोबार अच्छा रहेगा जबकि 42 फीसदी मुनाफे में बढ़त की उम्मीद करती हैं। 40 फीसदी मौजूदा स्तर से ज्यादा निवेश की उम्मीद करती हैं। 31 फीसदी मौजूदा स्तर से ज्यादा निर्यात होने की उम्मीद करती हैं तथा 27 फीसदी कंपनियां अपने श्रमबल को बढ़ाने के लिए और भर्ती करने की तैयारी कर रही हैं। पिछले सर्वेक्षण से यदि नए सर्वेक्षण के नतीजों की तुलना की जाए तो निर्यात को छोड़कर सभी क्षेत्रों में स्थिति बेहतर होती दिख रही है। कंपनियां निर्यात बढ़ाने को लेकर उत्साहित नहीं दिख रही हैं। वैश्विक स्तर पर तो अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे पटरी पर आ रही लेकिन संरक्षणवाद की बढ़ती लहर और घरेलू स्तर पर तरक्की तथा नौकरियों को बढ़ावा देने की अंतमुर्खी नीतियों के चलन से निर्यात प्रभावित हो सकता है।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News