MSME सेक्टर की रीढ़ बनी मुद्रा योजना, भारत को बना रही आत्मनिर्भर
punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 03:04 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर का योगदान लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2022-23 में MSME क्षेत्र ने देश की कुल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में लगभग 30.1% का योगदान दिया, जबकि 2024-25 में भारत के कुल निर्यात में 45.79% हिस्सेदारी भी इसी क्षेत्र से रही।
हालांकि, आज़ादी के बाद से MSMEs को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से ऋण प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती रहा है लेकिन हाल के वर्षों में "इंडिया स्टैक" जैसी डिजिटल तकनीक, बैंकों द्वारा अपनाई गई नई प्रक्रियाएं और सरकारी योजनाओं के चलते इस स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।
PMMY ने बदली तस्वीर
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), जो 8 अप्रैल 2015 को शुरू की गई थी, ने इस बदलाव में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। इस योजना का उद्देश्य गैर-कॉरपोरेट, गैर-कृषि आधारित छोटे उद्यमों को बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध कराना है।
योजना के तहत तीन श्रेणियों में ऋण दिए जाते हैं:
- शिशु: ₹50,000 तक का ऋण
- किशोर: ₹50,000 से ₹5 लाख तक का ऋण
- तरुण: ₹5 लाख से ₹10 लाख तक का ऋण
प्रभावशाली आंकड़े
- अब तक इस योजना के अंतर्गत 45 करोड़ से अधिक ऋण वितरित किए जा चुके हैं।
- कुल वितरण राशि ₹28 लाख करोड़ के पार जा चुकी है।
- लाभार्थियों में से लगभग 68% महिलाएं और 51% एससी/एसटी/ओबीसी वर्ग से हैं।
MSME की मजबूती में योगदान
PMMY ने न केवल छोटे उद्यमियों को वित्तीय सहायता दी, बल्कि देश में स्वरोज़गार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की। आज लाखों लोग इस योजना के जरिए छोटे उद्योग, दुकानें, सेवा-आधारित व्यवसाय और स्टार्टअप चला रहे हैं।