नोटबंदी ने तोड़ी पॉल्‍ट्री इंडस्‍ट्री की कमर, 18 दिनों में हजारों करोड़ का नुकसान

punjabkesari.in Monday, Nov 28, 2016 - 01:58 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी ने पारंपरिक किसानों और मंडियों में ट्रेडर्स के अलावा पोल्ट्री इंडस्ट्री की भी कमर तोड़ दी है। डिमोनेटाइजेशन के 18 दिन एग्री और इससे जुड़ी इंडस्ट्री के लिए बहुत घातक सिद्ध हुए हैं। आशंका जताई जा रही है कि इसी तरह के हालात लंबे समय तक रहे तो एग्री सैक्टर को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। उधर, मंडियों में मक्का और सोयबीन न मिलने के कारण पॉल्ट्री फीड भी महंगा हो चला है। इन्ही सब कारणों के चलते अनुमान है कि देशभर में इस दौरान पोल्ट्री इंडस्ट्री को प्रतिदिन 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

खपत में 20-30% की गिरावट
दरअसल, पोल्ट्री इंस्डस्ट्री के लिए सर्दियों का समय बेहद मुफीद माना जाता है। इसमें चिकन से लेकर अंडों तक की खपत में आम दिनों की अपेक्षा 20 से 30% की वृद्धि हो जाती है। लेकिन, मंडियों और रीटेल स्टोर्स पर कैश ट्रांजेक्शन न होने के कारण पॉल्ट्री प्रोडक्ट के दामों में खासी गिरावट आ चुकी है। कुल मिलाकर जहां इस सीजन में कारोबार में बढ़त की संभावना थी वहीं, खपत में 20 से 30% की गिरावट आ गई है। नोटबंदी के कारण मंडियों से लेकर रीटेल दुकानों पर भी बिक्री प्रभावित हुई है।

अंडे के दामों में आई गिरावट
बात अगर अंडों के दाम की करें तो 8 नवंबर से पहले देश के विभिन्न बाजारों में प्रतिदिन के भाव 3.90 रुपए प्रति अंडा था, लेकिन शनिवार को दिल्ली में अंडा भाव 2.93 रुपए रहे। ऐसे में लगभग 25 फीसदी की गिरावट सिर्फ अंडा भाव में आ चुकी है। इसके अलाव ब्रॉयलर चिकन भी दिल्ली और पंजाब की मंडियों में 15 से 25 रुपए गिर चुका है। नैशनल ऐग कॉर्डिनेशन कमेटी (एन.ई.सी.सी.) के सुब्बा राजू ने बताया कि कमेटी का आंकलन है कि पॉल्ट्री इंडस्ट्री को हर दिन 100 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।

पॉल्ट्री फीड भी हुई महंगी
वहीं अगर बात पाॅल्ट्री इंडस्ट्री के लिए जरुरी फीड की बात करें तो इसमें 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल से भी ज्यादा की वद्धि हो चुकी है। इसका कारण है कि मंडियों में ट्रेडर्स के पास न तो पर्याप्त मक्का है और ही सोयबीन। ऐसे में फीड बनाने वाली कंपनियों को माल बेहद कम मात्रा में मिल रहा है। पंजाब के रोपड़ पंजाब पॉल्ट्री फार्म एंड फीड के मालिक सुखविंदर सिंह विर्क का कहना है कि इस वक्त फीड के लिए कच्चा माल 15 से 20 फीसदी महंगा हो गया है। इसलिए मजबूरी है कि फीड इंडस्ट्री को भी दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं।

50 लाख लोगों पर पड़ेगा असर
इंडस्ट्री के जानकारों के अनुसार यदि आने वाले 20 दिन और इसी तरह से गुजरते हैं तो पॉल्ट्री इंडस्ट्री को बेहद नुकसान उठाना पड़ सकता है। आंकड़ों पर गौर करें तो पॉल्ट्री इंडस्ट्री से 50 लाख किसान और मजदूर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। जबकि, व्यापारियों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों ही व्यापारी इससे जुड़े हुए हैं। देश में लगभग हर दिन 26 करोड़ अंडों और 1 करोड़ चिकन का उत्पादन होता है। भारत का चिकन इंडस्ट्री में दुनिया में 5वां स्थान है।


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