OMG: भारत में मिलेगा 250 रुपए प्रति लीटर पैट्रोल-डीजल!

Thursday, Nov 16, 2017 - 04:12 PM (IST)

नई दिल्लीः आम आदमी हमेशा पैट्रोल-डीजल की कीमतों के कारण चिंतित रहता है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से पैट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। हालांकि, सरकार इसे नियंत्रित करने की कोशिश लगातार कर रही है। राज्यों ने कुछ महीने पहले पैट्रोल-डीजल से वैट घटाया है लेकिन फिर भी पैट्रोल-डीजल के एक लीटर की कीमत 250 रुपए बढ़ सकती है। ईरान और सऊदी अरब के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है। यदि युद्ध के हालात बनते हैं तो भारत में इसका असर पैट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिखेगा। इसकी कीमत 250/लीटर तक जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो महंगाई भी कई गुना बढ़ जाएगी।

क्यों बढ़ेंगे दाम
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि सऊदी अरब और ईरान के बीच युद्ध होता है तो अंतर्राष्‍ट्रीय मार्कीट में कच्चे तेल के दाम में 500 फीसदी का उछाल आ सकता है। युद्ध शुरू होते ही क्रूड के दाम 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में युद्ध शुरू होते ही भारत में एक लीटर पैट्रोल की कीमत 250 रुपए प्रति लीटर तक जाने का अनुमान है। जानकारों की मानें तो ईरान और सऊदी के बीच युद्ध होने के बावजूद पैट्रोल की कीमतें नियंत्रित हो सकती हैं क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड आयात अमरीका भी अब कच्चा तेल निर्यात करने लगा है। वहीं दूसरी ओर, चीन और अन्य देशों में कच्चे तेल की मांग में कोई बड़ा इजाफा देखने को नहीं मिला है। ज्यादातर देश अब इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रयोग को बढावा देने लगे हैं, इसीलिए आगे चलकर डिमांड में कमी हो सकती है।

क्यों नहीं बनती सऊदी अरब और ईरान के बीच
कच्चा तेल सप्लाई करने वाले सभी देशों में सऊदी अरब का कुल 20 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में सऊदी और ईरान के बीच यदि तनाव में और वृद्धि होती है, तो सप्लाई बंद हो जाएगी। ऐसे में कच्चे तेल के दाम में तेजी होना ही है। सऊदी के साथ मिलकर कुवैत, ओमान और कतर जैसे अरब देश प्रतिदिन 28 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं। बता दें कि मध्य पूर्व के दो ताकतवर देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच हमेशा तनाव बना रहता है। दोनों देश धर्म से लेकर तेल और इलाके में दबदबा कायम करने जैसी हर बात पर दो-दो हाथ करने को तैयार रहते हैं। हाल ही में रिश्तों में फिर से खटास आई है। जनवरी 2016 में सऊदी अरब में एक प्रमुख शिया मौलवी को मौत की सजा दी गई थी जिसपर सरकार विरोधी प्रदर्शन भड़काने के आरोप लगे। इस घटना से ईरान नाखुश था। ईरान में सऊदी राजनयिक मिशन पर हमले किए गए। घटना के बाद सऊदी अरब ने ईरान से अपने राजनयिक रिश्ते भी तोड़ लिए। 

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