साझेदारी और सहयोग: भारत में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक कदम
punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2025 - 03:45 PM (IST)
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नई दिल्लीः भारत की अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने की यात्रा में विनिर्माण क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। हाल के वर्षों में, सरकार ने ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल के तहत स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया है। इस पहल के तहत, भारत के विनिर्माण क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन हो रहा है, जिसमें इंडस्ट्री 4.0 की अवधारणा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह दृष्टिकोण स्मार्ट फैक्ट्रियों और डिजिटल विनिर्माण के विकास को प्रोत्साहित करता है।
इंडस्ट्री 4.0 और डिजिटल विनिर्माण का महत्व
इंडस्ट्री 4.0 उन्नत प्रौद्योगिकियों जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, और डेटा एनालिटिक्स को विनिर्माण प्रक्रियाओं में एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य एक ऐसे सिस्टम का निर्माण करना है, जिसमें मशीनें, उपकरण और मानव ऑपरेटर एक साथ मिलकर कारख़ाने के माहौल में काम करें। इससे स्वचालन में वृद्धि होती है, संचालन की दक्षता बढ़ती है और उत्पादन परिणामों में सुधार होता है।
साइबर सुरक्षा और लचीलापन की आवश्यकता
जैसे-जैसे डिजिटल प्रणालियाँ मुख्य भूमिका निभा रही हैं, साइबर सुरक्षा और लचीलापन की जरूरत अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। विनिर्माण प्रक्रियाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत उपायों की आवश्यकता है ताकि उत्पादन में विघटन को रोका जा सके और संचालन को सुरक्षित और लचीला बनाए रखा जा सके। एक IDC रैंसमवेयर अध्ययन के अनुसार, 2022 में महामारी के बाद विनिर्माण क्षेत्र के 76 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने रैंसमवेयर हमले का सामना किया, जिससे यह भारत और दुनिया भर में रैंसमवेयर हमलों के प्रति सबसे संवेदनशील तीन क्षेत्रों में शामिल हो गया।
भारत के विनिर्माण क्षेत्र में साइबर लचीलापन की तात्कालिक आवश्यकता
वर्तमान परिदृश्य में, सवाल अब “क्या” साइबर घटना होगी, बल्कि “कब” होगी, यह है। हालांकि, कंपनियां अभी तक आवश्यक दीर्घकालिक निवेश नहीं कर रही हैं, जो कि साइबर लचीलापन बुनियादी ढांचे को बनाने के लिए जरूरी हैं। एक रैंसमवेयर हमला उत्पादन डेटा को एन्क्रिप्ट कर सकता है और संचालन को बंद कर सकता है, जिससे वित्तीय नुकसान, आपूर्ति श्रृंखला में विघटन और निर्माता की प्रतिष्ठा को भी नुकसान हो सकता है। संवेदनशील डेटा जैसे मालिकाना डिज़ाइन और ग्राहक जानकारी से समझौता हो सकता है, जो संभावित कानूनी दायित्वों और नियामक दंडों का कारण बन सकता है।
साइबर सुरक्षा रणनीतियों को लागू करना
इंसिडेंट रिस्पांस प्लान (IRP) तैयार करना: एक मजबूत IRP तैयार करना आवश्यक है, जो सभी संभावित खतरों के लिए प्रक्रियाओं को विस्तार से बताए और कंपनी को प्रभावी तरीके से साइबर घटनाओं का सामना करने में मदद करे।
डेटा एक्सफिल्ट्रेशन से सुरक्षा: कंपनियों को डेटा लोस प्रिवेंशन (DLP) जैसे समाधान लागू करने चाहिए ताकि डेटा चोरी और संवेदनशील जानकारी की अनधिकृत निर्यात को रोका जा सके।
साइबर रिकवरी समाधान लागू करना: साइबर रिकवरी समाधान को लागू करना महत्वपूर्ण है, ताकि हमले के बाद तेजी से सिस्टम को बहाल किया जा सके। साथ ही, एक रिकवरी रनबुक तैयार करना चाहिए, जो सभी आवश्यक कार्रवाई को समय पर सुनिश्चित करे।
कौशल और प्रतिभा पर ध्यान देना
कौशल और प्रतिभा को अक्सर साइबर हमलों से निपटने के लिए जरूरी क्षमता निर्माण में अनदेखा किया जाता है। Kyndryl Readiness Report 2024 के अनुसार, भारत में केवल 25 प्रतिशत व्यापारिक नेताओं ने प्रतिभा पर निवेश किया है, जो अन्य देशों के मुकाबले सबसे कम है। भारत में जहां छोटे और मंझले उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है, वहां कौशल और प्रतिभा को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों से सशक्त किया जाना चाहिए, ताकि वे खतरों का सही से पहचान सके और प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें।
साझेदारी और सहयोग के माध्यम से सुरक्षित भविष्य
भारत में आज विनिर्माण क्षेत्र में जो तेजी देखी जा रही है, उसमें तकनीकी विशेषज्ञों, संगठनों और सरकार को एकजुट होकर साइबर सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना भारत के विनिर्माण क्षेत्र को साइबर लचीला बनाने में मदद कर सकता है। इन रणनीतियों को अपनाकर, जोखिम को कम किया जा सकता है और भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की समग्र सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है।