प्याज की बुआई में गिरावट के आसार

punjabkesari.in Wednesday, Jun 22, 2016 - 03:14 PM (IST)

मुंबईः मॉनसूनी बारिश में करीब 2 सप्ताह की देरी होने से किसान प्याज की बुआई से परहेज करने लगे हैं जिसकी वजह से इस साल खरीफ के मौसम में प्याज के रकबे में 4 से लेकर 5 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। प्याज की फसल के लिहाज से सबसे अहम माने जाने वाले महाराष्ट्र और उसके आसपास के राज्यों में किसानों को इस बार भी बारिश की कमी का अंदेशा सताने लगा है। हालांकि मौसम विभाग ने इस साल मॉनसून के सामान्य से अधिक रहने की संभावना जताई है लेकिन शुरूआती देरी प्याज की फसल पर असर डालती हुई दिख रही है। इन राज्यों में पिछले 2 साल से पर्याप्त बारिश नहीं होने से जमीन में नमी पहले ही काफी कम हो गई है। ऐसे में किसानों को यह चिंता सताने लगी है कि अगर इस बार भी अच्छी बारिश नहीं हुई तो प्याज की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।  

 

इस आशंका से परेशान किसानों ने प्याज की बुआई से परहेज करना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग के पुणे स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने पिछले सप्ताह किसानों के लिए यह सलाह दी थी कि अच्छी बरसात का दौर शुरू न होने तक वो प्याज की बुआई न करें। मौसम विभाग की यह सलाह मानते हुए महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के किसानों ने प्याज की बुआई करनी फिलहाल बंद कर दी है। उन्हें मॉनसूनी बारिश के उस दौर का इंतजार है जब लगातार अच्छी बारिश होगी।

 

आम तौर पर खरीफ के मौसम में प्याज की बुआई का सिलसिला 10 जून के आसपास मॉनसून के आगमन के साथ ही शुरू हो जाता है और जून के अंत तक जारी रहता है लेकिन मॉनसूनी बारिश का दौर देर से शुरू होने से प्याज उत्पादन वाले इलाकों में इसकी बुआई में करीब 2 सप्ताह का विलंब हो चुका है। हालांकि देश के कुल प्याज उत्पादन में खरीफ सत्र वाली प्याज का हिस्सा केवल 20 प्रतिशत ही है लेकिन मॉनसून के देर से आने के चलते इस पर असर पड़ सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्याज एवं लहसुन निदेशालय के प्रमुख डॉ जय गोपाल कहते हैं कि ''अगर इस सप्ताह भी महाराष्ट्र में मॉनसून झूमकर बरसना नहीं शुरू करता है तो फिर प्याज की बुआई के रकबे में चार से लेकर पांच फीसदी की गिरावट आ सकती है।''

 

महाराष्ट्र में प्याज के सबसे बड़े उत्पादन क्षेत्र नासिक और उसके नजदीकी इलाकों में छिटपुट बारिश अब शुरू हो चुकी है लेकिन राज्य के दूसरे इलाकों और पड़ोसी राज्यों तक इसका पहुंचना अभी बाकी है। इसके साथ ही बारिश की तीव्रता भी उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई है कि प्याज की बुआई की जा सके। बारिश के साथ ही फसल खराब होने की आशंका भी किसानों को बुआई से रोक रही है। मौजूदा सीजन में प्याज के बीजों की बिक्री में 40 फीसदी तक की गिरावट देखी गई है। डॉ गोपाल के मुताबिक किसानों को यह डर भी सता रहा है कि पौधे खराब हो जाने पर उन्हें दोबारा बुआई करनी पड़ सकती है लिहाजा किसान बीजों की खरीद में अपने पैसे नहीं फंसाना चाहते हैं। 

 

बुआई में कमी आने का असर अभी से प्याज के दाम पर भी दिखने लगा है। लासलगांव मंडी में प्याज का भाव 9 रुपए प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गया जबकि 2 हफ्ते पहले यह 8.25 रुपए प्रति किलो पर था। हालांकि राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाऊंडेशन के पूर्व निदेशक आर पी गुप्ता कहते हैं कि इस साल प्याज की कीमतों में ज्यादा उछाल आने की आशंका नहीं है क्योंकि पर्याप्त मात्रा में भंडार मौजूद है।


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