भारत में Digital Payments का नया रिकॉर्ड, UPI बना नंबर-वन लेन-देन प्लेटफॉर्म
punjabkesari.in Monday, Aug 18, 2025 - 12:27 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत ने डिजिटल पेमेंट्स की दुनिया में नया मुकाम हासिल कर लिया है। SBI रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) अब देश का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय लेन-देन प्लेटफॉर्म बन चुका है। छोटे-बड़े सभी तरह के भुगतान—चाहे आम लोगों के रोजमर्रा के खर्च हों या व्यापारियों के बड़े सौदे—आज सबसे ज़्यादा UPI से ही हो रहे हैं।
रिकॉर्ड तोड़ लेन-देन
2025 में UPI ट्रांजैक्शन्स का औसत डेली वैल्यू जनवरी में ₹75,743 करोड़ से बढ़कर जुलाई में ₹80,919 करोड़ और अगस्त में ₹90,446 करोड़ तक पहुंच गया। औसत डेली वॉल्यूम भी जनवरी से अगस्त के बीच 127 मिलियन बढ़कर 675 मिलियन हो गया।
SBI सबसे बड़ा रेमिटर, Yes Bank नंबर-वन बेनिफिशियरी
रिपोर्ट के अनुसार, SBI 5.2 अरब लेन-देन के साथ देश का सबसे बड़ा रेमिटर (पैसा भेजने वाला बैंक) बैंक बन गया है, जो HDFC से 3.4 गुना ज्यादा है। वहीं Yes Bank 8 अरब लेन-देन के साथ सबसे बड़ा लाभार्थी (beneficiary) बैंक साबित हुआ है।
PhonePe, Google Pay और Paytm का दबदबा
UPI ऐप्स की बात करें तो PhonePe टॉप पर है, इसके बाद Google Pay और फिर Paytm का स्थान है। रिपोर्ट ने चेताया कि कुछ ही ऐप्स पर लेन-देन का बड़ा हिस्सा केंद्रित होना भारत-केंद्रित फिनटेक इनोवेशन के लिए खतरा हो सकता है। इसी कारण एक “देसी काउंटर ऐप” और AI आधारित ढांचे की जरूरत पर भी जोर दिया गया है।
महाराष्ट्र सबसे आगे
NPCI के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र 9.8% हिस्सेदारी के साथ डिजिटल पेमेंट्स में सबसे आगे है। इसके बाद कर्नाटक (5.5%) और उत्तर प्रदेश (5.3%) हैं। खास बात यह है कि यूपी अकेला उत्तर भारतीय राज्य है जो टॉप-5 में शामिल है।
व्यापारी भुगतान (P2M) में तेजी
UPI से व्यापारी भुगतानों (P2M) की हिस्सेदारी जून 2020 में 13% थी, जो जुलाई 2025 में 29% तक पहुंच गई। वॉल्यूम के हिसाब से यह 39% से बढ़कर 64% हो गया है, जो डिजिटल वित्तीय समावेशन की गहराई दिखाता है।
कैश की जगह UPI
रिपोर्ट बताती है कि रिटेल मनी (UPI + ATM कैश विदड्रॉल) में UPI का हिस्सा नवंबर 2019 के 40% से बढ़कर मई 2025 में 91% हो गया। यानी लोग अब नकद के बजाय डिजिटल पेमेंट को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
मर्चेंट कैटेगरी और कर्ज वसूली
NPCI ने पहली बार मर्चेंट कैटेगरी (MCC) का डेटा जारी किया है। जुलाई 2025 में केवल 29 कैटेगरी का डेटा आया, जबकि देश में लगभग 300 MCCs मौजूद हैं। इनमें से 15 कैटेगरी कुल 70% वॉल्यूम और 47% वैल्यू का हिस्सा हैं।
- ग्रॉसरी सेक्टर – 24.3% वॉल्यूम और 8.8% वैल्यू के साथ सबसे बड़ा सेगमेंट
- डेट कलेक्शन एजेंसियां – 12.8% वैल्यू के साथ दूसरे नंबर पर (हालांकि वॉल्यूम केवल 1.3%)