नए GST दरों से पेट्रोलियम, कोल बेड मीथेन उद्योग पर पड़ेगा असर: उद्योग
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 05:51 PM (IST)

नई दिल्लीः तेल, गैस और कोल बेड मीथेन क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले पूंजीगत सामान पर जीएसटी बढ़ाने से प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे पेट्रोलियम क्षेत्र से जुड़े हाल के कानून में अनुबंध एवं राजकोषीय प्रावधानों को लेकर जो भरोसा दिलाया गया था, वह कमजोर पड़ता हुआ नजर आ रहा है।
उद्योग मंडल फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे एक पत्र में यह बात कही। इस महीने मंत्री को लिखे दूसरे पत्र में उद्योग निकाय ने 25 सितंबर को कहा कि पेट्रोलियम (प्राकृतिक गैस सहित) और कोल बेड मीथेन (सीबीएम) क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले पूंजीगत सामानों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने से उस उद्योग पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसमें यह भी कहा गया कि जीएसटी के तहत प्राकृतिक गैस को शामिल न करने के कारण इस क्षेत्र को पहले ही नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
फिक्की ने लिखा, ''जीएसटी वृद्धि अन्वेषण एवं उत्पादन (ईएंडपी) अनुबंधों के विपरीत है और यह इस क्षेत्र में परियोजना लागत को बढ़ा देगा। इस क्षेत्र में उच्च जोखिम वाली पूंजी और लंबी अवधि के निवेश की आवश्यकता होती है।'' उद्योग मंडल ने कहा कि यह फैसला आगे के निवेश को हतोत्साहित करता है, घरेलू उत्पादन को कमजोर करता है, और ऊर्जा सुरक्षा तथा 'मेक इन इंडिया' के राष्ट्रीय लक्ष्यों के विपरीत है।
उद्योग निकाय ने संसद द्वारा हाल में पारित तेल क्षेत्र (विनियमन एवं विकास) संशोधन अधिनियम, 2025 का उल्लेख किया, जो अपस्ट्रीम ईएंडपी परिचालकों को वित्तीय स्थिरता देता है। फिक्की ने कहा कि उद्योग किसी प्रोत्साहन की मांग नहीं कर रहा है, बल्कि चाहता है कि सरकार ईएंडपी अनुबंधों की सहमत संविदात्मक शर्तों को जारी रखे। भारत अपनी तेल जरूरतों का 88 प्रतिशत और गैस मांग का लगभग आधा आयात से पूरा करता है। इस आयात निर्भरता को कम करने के लिए, सरकार घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है।