29 सरकारी कंपनियों की संपत्तियां बेचने की तैयारी में मोदी सरकार

punjabkesari.in Monday, Jul 08, 2019 - 02:02 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में विनिवेश की गति को तेज करना चाहती है। इसके लिए सरकार ने रणनीतिक विनिवेश और सरकारी जमीनों की बिक्री के माध्यम से एक लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार ने 29 कंपनियों की लिस्ट तैयार की है। इन कंपनियों की हिस्सेदारी को प्राइवेट कंपनियों को बेचकर पैसा जुटाया जाएगा।

सरकार इस प्रक्रिया को जल्द ही अंतिम रूप देगी। डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट पब्लिक असेट्स मैनेजमेंट के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने बताया कि सरकार रणनीतिक बिक्री के साथ ही अगले सप्ताह बिक्री के लिए तीन नए प्रस्ताव पेश कर सकती है। चक्रवर्ती ने कहा कि बजट में ऐसे कई उपायों की बात कही गई है। इनमें लिस्टेड कंपनियों में जनता की हिस्सेदारी को बढ़ाना शामिल है। इससे इक्विटी मार्केट से पैसा जुटाने में मदद मिलेगी।

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अगले सप्ताह बिक्री के लिए 3 नए प्रस्ताव
उन्होंने कहा कि रणनीतिक निवेश के तहत हम चरण दर चरण आगे बढ़ेंगे। एयर इंडिया के बिक्री की घोषणा पहले ही हो चुकी है लेकिन वह सिर्फ एक केस है। अगले सप्ताह इस तरह की तीन बिक्री संबंधी प्रस्ताव पेश किए जाएंगे। इसलिए, इनके लिए एक ऐसी कन्वेयर बेल्ट होगी जहां प्रोडक्ट को रखा जाएगा। चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार कुछ जमीनों की बिक्री का प्रस्ताव पेश कर बाजार की प्रतिक्रिया देखेगी। इसके बाद इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।

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विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने आम बजट 2019 में 1.05 लाख करोड़ रुपए विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा है। अंतरिम बजट में विनिवेश के जरिए 90 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। इस तरह सरकार ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य में बढ़ोतरी की है। संसाधनों को बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचने, रणनीतिक बिक्री के साथ जमीनों को बेचने पर भी प्रमुखता से जोर देगी।

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2018-19 में लक्ष्य से अधिक जुटाई राशि
सरकार ने 2019-20 के पहले दो महीने में 2357.10 करोड़ रुपए जुटाए हैं। वहीं साल 2018-19 में सरकार ने विनिवेश के जरिए 84972.16 करोड़ रुपए जुटाए थे। हालांकि, 2018-19 में 80 हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार ने बाजार से इक्विटी फ्लो बढ़ाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। उदाहरण के लिए कंपनियों में जनता की हिस्सेदारी को 25 से बढ़ाकर 35 फीसदी करने से दीर्घावधि के लिए अधिक पैसा जुटाया जा सकेगा।


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jyoti choudhary

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