दूध के दामों में आने लगा उबाल

punjabkesari.in Wednesday, Jul 06, 2016 - 03:55 PM (IST)

अहमदाबादः ऐसे वक्त जब कृषि उत्पादों की कीमतों में बढ़ौतरी देखी जा रही है, देश में दूध के दाम भी बढऩे लगे हैं। अमूल ब्रांड का कारोबार करने वाली देश की सबसे बड़ी डेयरी गुजरात कॉऑपरेटिव मिल्क मार्कीटिंग फेडरेशन (जी.सी.एम.एम.एफ.) द्वारा जून के पहले सप्ताह में दाम बढ़ाए जाने के बाद दूसरी कम्पनियां भी इसी रास्ते पर चल पड़ी हैं। महाराष्ट्र में निजी डेयरी गोकुल और पराग मिल्क फूड्स ने पहले ही दाम 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं। दिल्ली की डेयरियां भी 3 सप्ताह पहले दामों में इजाफा कर चुकी हैं। हालांकि दक्षिण में हटसन एग्रो जैसी डेयरियों का कहना है कि फिलहाल दूध का खुदरा मूल्य बढ़ाने की उनकी कोई योजना नहीं है। वेरका ब्रांड से दूध और दुग्ध उत्पादों का कारोबार करने वाली पंजाब की कोऑपरेटिव डेयरी मिल्कफेड के सूत्रों का भी कहना है कि कम्पनी की कीमतें बढ़ाने की तत्काल कोई योजना नहीं है।

 

मदर डेयरी ने जून की शुरूआत में उस समय दाम नहीं बढ़ाए थे जब जी.सी.एम.एम.एफ. ने कीमतों में इजाफा किया था। कम्पनी ने तब कहा था कि पिछले 3 महीनों के दौरान तापमान और मौसमी मांग बढऩे से उसे किसानों को प्रति लीटर 2.50 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं लेकिन उसने इसका प्रभाव उपभोक्ताओं पर नहीं पडऩे दिया। मदर डेयरी के प्रवक्ता ने कहा, ''आने वाले दिनों में दामों के और ऊपर जाने की उम्मीद है। हम दूध की उपलब्धता और कीमतों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और जरूरत पड़ी तो दाम बढ़ाए जा सकते हैं।''

 

जी.सी.एम.एम.एफ. ने उत्पादन लागत में 20 प्रतिशत बढ़ौतरी का हवाला देते हुए जून के पहले हफ्ते में दिल्ली-गुजरात में दूध के दाम प्रति लीटर 2 रुपए बढ़ाने की घोषणा की थी। कम्पनी ने कहा था कि देश में चरणबद्घ ढंग से दाम बढ़ाए जाएंगे। कम्पनी किसानों से हर दिन करीब 1.62 करोड़ लीटर दूध खरीद रही है। दिल्ली की कम्पनी स्टर्लिंग एग्रो ने करीब 3 सप्ताह पहले अपने दामों में 2 रुपए प्रति लीटर का इजाफा किया था। 

 

कम्पनी के मालिक कुलदीप सलूजा ने कहा कि चारे की कीमतें बढऩे से किसानों से खरीद की लागत बढ़ गई थी जिससे दूध का खुदरा मूल्य बढ़ाना अपरिहार्य हो गया था। उन्होंने कहा, ''लेकिन अब कुछ समय कीमतें नहीं बढ़ेंगी क्योंकि मॉनसून आने से चारे की आपूर्ति बढ़ेगी। मुझे लगता है कि अगले एक साल तक कीमतें स्थिर रहेंगी।'' इससे पहले वैश्विक स्तर पर दुग्ध पाऊडर की कीमतों में मंदी और निर्यात के अभाव में देश में इसके भारी भंडार होने के कारण दूध की कीमतें लंबे समय से स्थिर बनी हुई थीं।


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