IT विभाग उठाएगा वन नेशन, वन टैक्स पर बड़ा कदम

punjabkesari.in Thursday, Jun 08, 2017 - 10:09 AM (IST)

नई दिल्ली: जी.एस.टी. के वन नेशन, वन टैक्स के सिद्धांत को इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट (आयकर विभाग) बड़े पैमाने पर अपना सकता है जिससे असैसमैंट के मामले में जूरिस्डिक्शन (अधिकार क्षेत्र) का पंगा ही खत्म हो जाएगा, यानी मुम्बई के किसी टैक्सपेयर का असैसमैंट पटना स्थित कोई इन्कम टैक्स अफसर कर सकेगा। यह भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम होगा क्योंकि नागरिकों और टैक्स अधिकारियों के आमने-सामने मिलने की जरूरत बेहद कम रह जाएगी। साथ ही इससे प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। इस कदम से वाडर्स और सर्कल्स के रूप में तमाम भौगोलिक वर्गीकरणों का महत्व भी नहीं रहेगा और पूरा देश एक जूरिस्डिक्शन में आ जाएगा। हालांकि इसके लिए इन्कम टैक्स लॉ में एक बदलाव करना होगा।

एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्ट टैक्सेज (सी.बी.डी.टी.) की एक हाई लैवल इंटर्नल रिपोर्ट में यह कदम उठाने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट पर विचार किया जा रहा है। सरकार इस प्रोसैस को अगले वित्त वर्ष में लागू करने पर विचार कर सकती है।
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ई-फाइलिंग से खुला रास्ता
इस महत्वपूर्ण टैक्स सुधार का रास्ता रिटन्र्स की ई-फाइलिंग की बढ़ी रफ्तार के कारण खुला है। ऐसी ई-फाइलिंग में जूरिस्डिक्शन की बाधा नहीं है और फाइल किए गए रिटर्न बेंगलूर में सैंट्रल प्रोसैसिंग सैंटर के पास जाते हैं। पिछले फाइनैंशियल ईयर में फरवरी तक 4.21 करोड़ से ज्यादा टैक्स रिटर्नस ऑनलाइन फाइल किए गए थे। तब तक 4.3 करोड़ ई-रिटन्र्स की प्रोसैसिंग हो चुकी थी। इसमें पिछले वर्षों का कुछ बैकलॉग भी था।
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टैक्सपेयर को नहीं करना होगा अधिकारियों का सामना
अधिकारी ने बताया कि ई-प्रोसैसिंग की दिशा में इस कदम के साथ इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट लिमिटेड स्क्रूटनी वाले सभी मामलों के लिए ई-स्क्रूटनी का विकल्प चुन सकता है। ऐसे मामलों में असैसी सवालों के घेरे में आए ट्रांजैक्शंस पर अपना स्पष्टीकरण ई-मेल से दे सकता है। जूरिस्डिक्शन का मसला नहीं होने पर भौगोलिक स्थिति का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा और इन्कम टैक्स डिपार्टमैंट टैक्सपेयर्स के लिए पूरी तरह फेसलैस हो जाएगा। रिटर्न का कोई भी रिव्यू या स्क्रूटनी देश में कहीं भी इलैक्ट्रॉनिक इंटरफेस के जरिए हो सकेगी जिससे यह सुनिश्चित होगा कि करदाता पर अधिकारियों से आमने-सामने संपर्क करने का दबाव न रहे।
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टैक्स अधिकारियों को भी राहत
बी.डी.ओ. इंडिया के पार्टनर (डायरैक्ट टैक्स) जिगर सैया ने कहा, ‘‘बिना किसी जूरिस्डिक्शन वाले असैसमैंट से टैक्स डिपार्टमैंट को असैसमैंट वर्क  को पूरे देश में एलोकेट करने में आसानी होगी। इससे प्रमुख शहरों में टैक्स अधिकारियों पर काम का बोझ घटेगा और लंबित मामलों की संख्या कम होगी।’’


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