8000 लोगों को IT डिपार्टमैंट भेजेगा नोटिस

punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2017 - 09:44 AM (IST)

नई दिल्लीः सुस्त ग्रोथ के बीच टैक्स अधिकारियों के ऊंचे रैवेन्यू टार्गेट हासिल करने में जुटे होने के बीच इन्कम टैक्स (आई.टी.) डिपार्टमैंट की ओर से भेजे जाने वाले मुकद्दमों के नोटिसों की संख्या में अचानक उछाल आया है। अब तक मुकद्दमों वाले नोटिस प्राय: ऐसे मामलों में भेजे जाते थे जिनमें कोई जानबूझ कर टैक्स देने से बचने की कोशिश करता पाया जाता था। अब टैक्स रिटर्न फाइल न करने या कारोबारी इकाइयों की ओर से टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स यानी टी.डी.एस. कम या देरी से जमा करने पर भी मुकद्दमे की कार्रवाई शुरू कर दी जा रही है। मुम्बई में एक सीनियर टैक्स अधिकारी ने बताया कि अर्निंग्स के पिछले रिकॉर्ड के साथ करीब 8000 ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की गई है जिन्होंने टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है।

इस लिस्ट में शामिल कई लोगों को मुकद्दमों के नोटिस भेजे गए हैं। यह कदम कुछ कड़ा तो लग सकता है लेकिन नोटिस उन कम्पनियों को भी भेजे गए हैं जिन्होंने सैलरी, रैंट या अन्य मदों से टी.डी.एस. काटने के बावजूद उसे सरकार के पास जमा नहीं करवाया। हालांकि टैक्स प्रैक्टीशनर्स के अनुसार कुछ ऐसी छोटे और मझोले आकार की कम्पनियों को भी मुकद्दमों के नोटिस मिले हैं जिन्होंने पहले समय पर टी.डी.एस. चुका पाने में अपनी असमर्थता स्वीकार की थी और बाद में ब्याज के साथ किस्तों में टैक्स चुका दिया था।

टैक्स देरी से चुकाने का बताना होगा कारण
ऐसा नोटिस मिलने पर असैसी को टैक्स चुकाने में देर या रिटर्न नहीं फाइनल करने का कारण बताना होगा। अगर टैक्स असैसिंग अफसर जवाब से संतुष्ट न हुआ तो असैसी को संबंधित ज्यूरिसडिक्शन के मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होना होगा। सीनियर चार्टर्ड अकाऊंटैंट दिलीप लखानी ने कहा कि इसमें 2-3 साल पुराने मामले भी हैं।  इनमें से कुछ में तो मुकद्दमा होना ही नहीं चाहिए। टैक्स रिटर्न फाइल न करने के कई कारण हो सकते हैं। जरूरी नहीं है कि जानबूझ कर आमदनी छिपाने के लिए ऐसा किया गया हो। जिन मामलों में असैसी को किस्तों में टैक्स चुकाने की इजाजत दी गई थी, उनमें विलफुल डिफॉल्ट का सवाल ही पैदा नहीं होता।

नोटिस से टैक्सपेयर्स में पैदा होगी घबराहट
अधिकतर टैक्सपेयर्स के लिए मुकद्दमों का नोटिस घबराहट पैदा कर सकता है, खासतौर से ऐसे लोगों को जिनके पास सीमित संसाधन हैं और जो आसानी से कानूनी सहायता हासिल नहीं कर सकते। असैसी को या तो नोटिस रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट जाना होगा या कम्पाऊंडिंग प्रोसैस को स्वीकार करना होगा। लॉ फर्म खेतान एंड कम्पनी के पार्टनर बिजल अजिंक्य ने कहा कि मुकद्दमे के प्रावधान टैक्स के गंभीर मामलों में लागू किए जाने चाहिएं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News