कोरोना के कारण विदेशी बंदरगाहों पर भारतीय चालक दल की अदला-बदली पर पाबंदी
punjabkesari.in Friday, May 07, 2021 - 12:44 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की चपेट में है लेकिन देश के व्यापार पर अभी इसका उतना प्रभाव नहीं पड़ा है। बहरहाल अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि हाल में भारत की यात्रा से आए पोतों को चालक दल के सदस्य बदलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। सिंगापुर, कनाडा, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और कुछ अन्य देश कोविड-19 के डर से भारतीय पोत चालकों को प्रवेश की अनुमति नहीं दे रहे हैं। नैशनल यूनियन ऑफ सीफेररर्स ऑफ इंडिया (एनयूएसआई) के महासचिव अब्दुलगनी सेरंग ने कहा, 'महामारी की दूसरी लहर से भारतीय पोत चालकों को काफी नुकसान हो रहा है। पाबंदियों की वजह से शिपिंग कंपनियां भारतीयों की जगह इंडोनेशिया या फिलीपींस के चालक दल को तरजीह दे रही हैं।'
देश के व्यापार पर असर पड़ना तय
भारतीय समुद्री नाविक करीब 4 महीने से इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। तोलानी शिपिंग कंपनी के प्रबंध निदेशक आर कुमार ने कहा, 'भारतीय झंडे वाले पोतों पर भारतीय चालक दल के सदस्य होते हैं और अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों द्वारा लिए गए निर्णय से घरेलू जहाजरानी कंपनियों पर प्रभाव पड़ रहा है।' ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग, एस्सार शिपिंग और सावर्जनिक क्षेत्र की शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया देश की बड़ी जहाजरानी कंपनियां हैं। कुमार ने कहा, 'भारत से व्यापार पर अभी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है लेकिन अगले दो-तीन महीने तक स्थिति ऐसी ही बनी रही तो देश के व्यापार पर असर पड़ना तय है।' भारतीय अभियांत्रिकी एवं निर्यात संवद्र्घन परिषद के वाइस चेयरमैन अरुण गरोड़िया भी इससे सहमत हैं। उन्होंने कहा, 'आने वाले दिनों में इसका असर देख सकते हैं, खास तौर पर कार्गो अगले कुछ दिनों में भारत आने हैं। हमें चिंता है क्योंकि हमें नहीं पता कि आने वाले समय में स्थितियां कैसी रहती हैं। इसका असर हर तरह की वस्तुओं के व्यापार पर पड़ेगा।'
देश में स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन के बावजूद अप्रैल में देश से वस्तुओं का निर्यात बढ़ा है। उद्योग के अधिकारियों के अनुसार कोविड महामारी से उबरने वाले देशों से मांग बढ़ने की वजह से निर्यात ऑर्डर बढ़ रहे हैं। आयात पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि सरकार महामारी के खिलाफ लड़ाई में विभिन्न चिकित्सा उपकरणों एवं दवाओं के साथ ही आवश्यक वस्तुओं के आयात को तेजी से मंजूरी दे रही है। कुमार ने कहा, 'चिकित्सा उपकरण मुख्य रूप से विदेशी कंटेनर पोतों से आते हैं और उनका भारत से कोई संबंध नहीं है। इससे न तो भारतीय चालक दल के सदस्य जुड़े हैं और न ही घरेलू जहाजरानी कंपनियां इसमें शामिल होती हैं। इसलिए चिकित्सा संबंधी वस्तुओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।'
देश में बेरोजगारी बढ़ने का जोखिम
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि टीकाकरण ही इस मसले का एकमात्र समाधान है। अगर लंबे समय तक स्थिति ऐसी ही बनी रही तो देश में बेरोजगारी बढ़ने का जोखिम होगा। एनयूएसआई के सेरांग ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिनमें टीकाकरण को अनिवार्य बनाया गया है। हमने कुछ महीने पहले सरकार से अनुरोध किया था कि समुद्री नाविकों को अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की श्रेणी में रखा जाए ताकि उन्हें टीके में प्राथमिकता मिल सके। मगर अब तक हमारी बात सुनी नहीं गई है।' भारतीय चालक दल के अधिकतर सदस्यों की उम्र 18 से 45 साल है, जिनके लिए टीकाकरण हाल में शुरू हुआ है लेकिन टीके की आपूर्ति सीमित होने के कारण टीका लगाना कठिन हो रहा है।