मसालों के निर्यात मूल्य में 30 फीसदी इजाफा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 30, 2015 - 01:14 PM (IST)

मुंबईः भारत से होने वाला मसाला निर्यात वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही में 3,976.65 करोड़ रुपए हो गया जबकि वर्ष 2014-15 की इसी अवधि में देश का मसाला निर्यात 3,059.74 करोड़ रुपए रहा था। रुपए के लिहाज से इस दौरान मसाला निर्यात 30 फीसदी बढ़ा है। मात्रा के लिहाज से मामूली बढ़त दर्ज की गई और देश से कुल 2,15,215 टन मसाला निर्यात किया गया जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 2,13,443 टन मसाले का निर्यात हुआ था। वित्त वर्ष 2015-16 के लिए मसाला बोर्ड ने 1,4014 करोड़ रुपए का निर्यात लक्ष्य रखा था। 

ऐसे में निर्यात का करीब 28 फीसदी लक्ष्य पहली ही तिमाही में ही पूरा किया जा चुका है। वर्ष 2014-15 के दौरान 14,899.68 करोड़ रुपए मूल्य के 8,93,920 टन का निर्यात किया जबकि वर्ष 2013-14 में 13,735.39 मूल्य के 8,17,250 टन मसालों का निर्यात किया गया। इस तरह निर्यात में मात्रा के लिहाज से 9 फीसदी, रुपए के लिहाज से 8 फीसदी और डॉलर के लिहाज से 7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। मसाला बोर्ड के चेयरमैन ए जयतिलक ने कहा, ''पहली तिमाही में ही निर्यात में आई तेजी भारतीय मसालों को दुनिया भर में बढ़ावा देने की बोर्ड की गतिविधियों का परिणाम है।'' फिर भी मात्रा के लिहाज से समान रुझान चिंता बढ़ा रहा है क्योंकि अन्य दक्षिण एशियाई देश मसालों के बड़े ठिकानों के तौर पर उभर रहे हैं। मसाला निर्यातकों का कहना है कि यह भारत के लिए बड़ा खतरा है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऑल इंडिया स्पाइसेज एक्सपोर्टर्स फोरम के अध्यक्ष गुलशन जॉन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि अन्य देशों के मुकाबले अधिक कीमत भारत और अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बीच अंतर पैदा कर रही है। इसलिए मात्रा के लिहाज से भारत का प्रदर्शन इस वित्त वर्ष में खराब ही रहने की उम्मीद है। 

जयतिलक ने कहा कि इस वर्ष बड़ी शुरूआत की उम्मीद है लेकिन यह लंबा चलेगा, इसकी उम्मीद कम ही है। उत्पादकता भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता है क्योंकि चीन और वियतनाम जैसे कई देश उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। रकबे में भी काफी सुधार देखने को मिल रहा है। इसलिए भारत में कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं जबकि अन्य जगहों से कम कीमत पर मसाले हासिल किए जा सकते हैं। मसाला बोर्ड के मुताबिक लहसुन, काली मिर्च, छोटी इलायची, मेथी, जायफल, सौंफ और मसालों के तेल के साथ ऑलियोरेजिन की हिस्सेदारी काफी अहम है। 


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