भारत-रूस गैस पाइप की संभावना पहले हुई से मजबूत

punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2017 - 12:54 PM (IST)

नई दिल्ली: क्या सुदूर रूस के अंदरूनी हिस्से से गैस पाइपलाइन भारत तक बिछाई जा सकती है? अभी तक इस बारे में भारत और रूस के संबंधित अधिकारियों के बीच जो वार्ता हुई है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इसकी संभावना पहले से मजबूत हुई है। अब यह संभावना जमीन पर उतारी जा सकती है या नहीं, इस पर दोनों देशों के आला अधिकारियों की अगले महीने अहम बैठक होगी। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून के पहले हफ्ते में होने वाली रूस यात्र की तैयारियों को लेकर होगी। भारत और रूस ने गैस पाइपलाइन पर पहली बार 2013 में बात हुई थी। मार्च, 2016 और ब्रिक्स बैठक के दौरान अक्टूबर, 2016 में भी उच्च स्तर पर गैस पाइपलाइन को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया। गैस पाइपलाइन को लागू करने को लेकर जो तकनीकी उपसमितियां बनी थी, उसकी रिपोर्ट दोनों देशों के पेट्रोलियम मंत्रलयों को सौंपी गई है।

पेट्रोलियम मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक पिछले छह महीने के दौरान गैस पाइपलाइन पर कई स्तरों पर बात हुई है और हम यह पक्के तौर पर कह सकते हैं कि यह संभव है। लेकिन अब कीमत, कूटनीतिक रिश्तों, पाइपलाइन के रास्ते पर फैसला करना होगा।

पाइपलाइन की लागत बहुत ज्यादा होने के आसार
रूस और भारत के बीच के फासले को देखते हुए पाइपलाइन की लागत बहुत ज्यादा होने के आसार हैं, इसका असर कीमत पर पड़ सकता है। बताते चलें कि सोमवार को पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने एक सेमिनार में यह बात कही है कि, अगर विदेश से भारत तक गैस लाने की पूरी लागत पांच डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस मापने का मापक) तक हो तो भारत में उसका उपभोग हो सकता है। देखना होगा कि भारत और रूस के रणनीतिकार इस प्रस्तावित गैस पाइपलाइन से आने वाली गैस की कीमत इस स्तर से नीचे रख पाते हैं या नहीं। भारत के लिए एक बड़ी दिक्कत के लिए संभावित रूट का चयन है।

रूस की तरफ से यह प्रस्ताव है कि चीन के लिए जो पाइपलाइन बिछाई गई है, उसे ही भारत तक बढ़ा दिया जाए लेकिन, कूटनीतिक वजहों और चीन के लगातार तल्ख हो रहे तेवर को देखते हुए भारत के लिए इस पर तैयार होना फिलहाल संभव नहीं दिख रहा। ऐसे में भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह तक गैस पहुंचाने का विकल्प दिया है। भारत यह बंदरगाह विकसित कर रहा है और यहां कई उर्वरक व रसायन संयंत्र स्थापित करने की मंशा रखता है। इन संयंत्रों को रूस से लाई गई गैस दी जा सकती है। चाबहार तक गैस पाइपलाइन लाने का एक फायदा यह है कि भारत वहां से जहाज से गैस गुजरात स्थित एलएनजी टर्मिनल तक आसानी से ला सकता है।


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