IPO मार्केट में भारत का दबदबा, अमेरिका को पीछे छोड़ बना ग्लोबल लीडर

punjabkesari.in Tuesday, Oct 29, 2024 - 05:01 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः 2024 की तीसरी तिमाही में भारत कुल लिस्टिंग में 36 फीसदी ग्लोबल हिस्सेदारी के साथ बाजार पर हावी रहा। अमेरिका की 13 फीसदी ग्लोबल हिस्सेदारी के सामने भारत आगे निकल गया। यह जानकारी मंगलवार को ईवाई इंडिया (EY India) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बाजार का शानदार प्रदर्शन इस साल अब तक के आईपीओ रिटर्न से स्पष्ट होता है, जो बीएसई सेंसेक्स के 14.9% रिटर्न से कहीं अधिक बेहतर है। 

सितंबर तिमाही में आए कुल 27 IPO

2024 की तीसरी तिमाही में भारतीय मुख्य बाजार में 27 आईपीओ आए, जबकि पिछली तिमाही में 13 आईपीओ आए थे। 2024 की तीसरी तिमाही में मुख्य बाजारों से जुटाई गई रकम 4.285 अरब डॉलर थी, जबकि 2024 की दूसरी तिमाही में यह 1.992 अरब डॉलर थी। यह सौदों की संख्या में 108% की वृद्धि के साथ जुटाई गई आय में 115 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।

84 नए SME IPO ने भी ली एंट्री

इसके अतिरिक्त, SME (स्मॉल एंड मीडियम साइज्ड एंटरप्राइजेज) सेगमेंट ने 2024 की तीसरी तिमाही के दौरान 84 आईपीओ के माध्यम से 398 मिलियन डॉलर जुटाए, जबकि 2023 की दूसरी तिमाही के लिए यह आंकड़ा 60 आईपीओ के माध्यम से 208 मिलियन डॉलर था।

इससे पता चलता है कि भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों ने दो दशकों में अपनी उच्चतम तिमाही लिस्टिंग हासिल की है, जिससे आईपीओ एक्टिविटी में ग्लोबल लीडर के रूप में उनकी स्थिति मजबूत हुई है।

कैपिटल मार्केट में बढ़ा निवेशकों का भरोसा

ईवाई इंडिया के इंडिया मार्केट लीडर प्रशांत सिंघल ने कहा "भारत के IPO बाजार में यह तेज गति हमारे पूंजी बाजारों की बढ़ती परिपक्वता और निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दिखाती है. हम घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों दोनों की मजबूत भागीदारी देखना जारी रखते हैं। भारत पब्लिक होने की इच्छा रखने वाली कंपनियों के लिए एक पसंदीदा डेस्टिनेशन के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है।"

प्रमुख और स्मॉल एंड मीडियम साइज्ड एंटरप्राइजेज बाजार में कंज्यूमर रिटेल प्रोडक्ट्स, अलग-अलग इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स, रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और कंस्ट्रक्शन सेक्टर IPO एक्टिविटी को लीड कर रहे हैं।

फेवरेबल मैक्रो एनवायरनमेंट ने आईपीओ एक्टिविटी के लिए मजबूत अनुकूल परिस्थितियां पैदा की हैं, जिससे 2025 तक ब्याज दरें 6.2 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है और मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है। इसके अलावा, फाइलिंग में वृद्धि और सेकेंडरी बाजार के मजबूत प्रदर्शन से भारत के आईपीओ बाजार में निरंतर गति का संकेत मिलता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Related News