PM मोदी में विदेशी निवेशकों ने दिखाया भरोसा, 26 साल में रिकॉर्ड FDI

punjabkesari.in Tuesday, Apr 04, 2017 - 02:51 PM (IST)

नई दिल्लीः साल 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत के बाद से 26 साल में पहली बार देश के चालू खाता घाटे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) की फंडिंग हो रही है। भारत का निर्यात आयात के मुकाबले बढ़ रहा है। यह देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काबिलियत में निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है। जिस वित्तीय घाटे की भरपाई अब तक तक विदेशी मुद्रा बाजार में कंपनियों द्वारा उधार लेने, एनआरआई की फंडिग और पोर्टफोलियो इन्फ्लो के जरिए होती थी, उसमें अब बदलाव दिखने लगा है। एफ.डी.आई. में रिकॉर्ड बढ़ौतरी का इस्तेमाल कंपनियां और सेंट्रल बैंक पुराने उधारों को चुकाने में कर रहे हैं।

आर.बी.आई. के आंकड़े बताते हैं कि इन श्रेणियों में अप्रैल-जनवरी की अवधि के दौरान नेट आउटफ्लो देखा गया। इसमें विशेष रूप से डॉलर की जमा राशि के मुआवजे के एवज में 2013 में एनआरआई से भारत द्वारा उठाए गए रकम के मुकाबले करीब 26 अरब डॉलर का आउटफ्लो शामिल है। वित्त वर्ष के खत्म हुए पहले 10 महीनों में (अप्रैल 2010 से जनवरी 2017) के दौरान कुल एफ.डी.आई. 53.3 बिलियन डॉलर रहा, जो पहले इसी अवधि के दौरान 47.2 बिलियन डॉलर था और 2016 के पूरे वित्त वर्ष में यह 55.6 बिलियन डॉलर रहा।

यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव कहते हैं कि वैश्विक बाजार की अस्थिर स्थिति के बावजूद एेसे फ्लो बाहरी सेक्टर के अकाउंट को संरक्षित रखते हैं। वह कहते हैं कि उदार नीति के ढांचे का परिणाम के अलावा देश में कारोबारी माहौल और तेजी से सुधार लाने के समर्थन ने हालिया समय में एफ.डी.आई. फ्लो ने पोर्टफोलियो फ्लो को पीछे छोड़ दिया है। एफ.डी.आई., टिकाऊ होने के अलावा बेहतर तकनीक के ट्रांसफर की भी सुविधा मुहैया करता है जो अच्छे फायदे दिलाती है।

बता दें कि भारत एक ऐसी अर्थव्यवस्था बन रहा है, जहां स्थिर विकास मिलता है। जबकि दक्षिण कोरिया और इंडोनेशिया जैसे उभरते बाजार राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। भारत की ईज अॉफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग भी 2017 में बढ़कर 130 हो गई है, जो 2015 में 142 थी।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News