आई.एल. एंड एफ.एस. का असर, 1,500 एन.बी.एफ.सी. पर लाइसैंस रद्द होने की लटकी तलवार

punjabkesari.in Saturday, Sep 29, 2018 - 05:19 AM (IST)

नई दिल्ली: उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे देश के फाइनांस सैक्टर को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल देश की बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंसिंग और कंस्ट्रक्शन कम्पनी इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंसिंग एंड लीजिंग सर्विसेज लि. (आई.एल. एंड एफ.एस.) ने पूरे नॉन-बैंकिंग सैक्टर में भूचाल ला दिया जब यह पिछले कुछ हफ्तों में कर्ज अदायगी में असफल रहा।

अब इंडस्ट्री के अधिकारियों एवं एक्सपर्ट्स का कहना है कि रैगुलेटर्स 1,500 छोटी-छोटी नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कम्पनियों (एन.बी.एफ.सी.)पर लाइसैंस रद्द होने की तलवार लटकी हुई है क्योंकि इनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। इसके साथ ही अब बैंकिंग फाइनैंशियल कम्पनियों के नए आवेदन की मंजूरी में भी मुश्किलें आएंगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कम्पनियों के लिए नियम कड़े कर रहा है। उसने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। 

नकदी संकट की समस्या बढऩे का डर
दरअसल पिछले शुक्रवार को एक बड़े फंड मैनेजर ने होम लोन प्रदाता दीवान हाऊसिंग फाइनांस के शॉर्ट टर्म बांड्स को बड़े डिस्काऊंट पर बेच दिया। इससे नकदी संकट की समस्या बढऩे का डर पैदा हो गया है। आर.बी.आई. के पूर्व डिप्टी गवर्नर और अब बंधन बैंक लि. के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन हारुन राशिद खान ने कहा कि जिस तरह से चीजों से पर्दा उठ रहा है, वह निश्चित रूप से ङ्क्षचता का सबब है और इस सैक्टर की कम्पनियों की संख्या घट सकती है। 

पूंजी और कर्ज में भारी अंतर पर देना होगा ध्यान 
खान ने कहा कि कुल मिलाकर बात यह है कि उन्हें अपने एसैट-लाइबिलिटी मिसमैच (पूंजी और कर्ज में भारी अंतर) पर ध्यान देना होगा। उन्होंने यह बात इस संदर्भ में कही कि कुछ कम्पनियों ने लोन छोटी अवधि के लिए लिए थे जबकि उन्हें राजस्व की जरूरत लंबे समय तक के लिए है। 

11,400 नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कम्पनियां संदेह के घेरे में
ऐसे में अब पूरा ध्यान गांवों और कस्बों में कर्ज देने वाली हजारों छोटी-छोटी कम्पनियों पर चला गया है। अभी 11,400 नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कम्पनियां संदेह के घेरे में हैं जिनका कुल बैलेंस शीट 22.1 लाख करोड़ रुपए का है। इन पर बैंकों के मुकाबले बहुत कम कानूनी नियंत्रण है। इन कम्पनियों के लगातार नए निवेशक मिल रहे हैं। नॉन-बैंकिंग फाइनैंशियल कम्पनियों के लोन बुक्स बैंकों के मुकाबले दोगुनी गति से बढ़ी हैं और इनमें बड़ी-बड़ी कम्पनियों, मसलन आई.एल. एंड एफ.एस. को टॉप क्रैडिट रेटिंग्स भी मिलती रही। अब ये क्रैडिट रेटिंग्स भी सवालों के घेरे में है।  

एन.बी.एफ.सी. का ऋण हो सकता है महंगा, आर.बी.आई. ने आधार दर बढ़ाई
रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-माइक्रो फाइनांस संस्थानों (एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई.) के लिए आधार दर में 0.10 प्रतिशत की वृद्धि की है जिससे इनके ऋण महंगे होने की संभावना है। केंद्रीय बैंक ने बताया कि अक्तूबर-दिसम्बर तिमाही के लिए एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई. की आधार दर 9.02 प्रतिशत तय की गई है। जून-सितम्बर की तिमाही में आधार दर 8.92 प्रतिशत थी। आर.बी.आई. हर तिमाही के आखिरी कार्यदिवस पर अगली तिमाही के लिए एन.बी.एफ.सी.-एम.एफ.आई. के लिए आधार दर तय करता है। यह देश के 5 सबसे बड़े बैंकों की चालू तिमाही की ब्याज दर का औसत होता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pardeep

Recommended News

Related News