H1B वीजा पॉलिसी बदलने से देसी IT कम्पनियों पर पड़ सकती है चोट

punjabkesari.in Monday, Oct 22, 2018 - 09:48 AM (IST)

बेंगलूरः अमरीका की डोनाल्ड ट्रम्प सरकार ने एच-1बी रजिस्ट्रेशन प्रोसैस में बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें अमरीकी मास्टर्स डिग्री वालों को वीजा में प्रियोरिटी देने की बात कही गई है। अगर ऐसा होता है तो भारतीय आई.टी. कम्पनियों को अमरीकी क्लाइंट्स को सर्विस देने के लिए मिलने वाले वीजा में कटौती होगी।

यू.एस. जनरल सर्विसेज एडमिनिस्ट्रेशन ने एक नोट में कहा है कि वह ‘बाय अमेरिकन एंड हायर अमेरिकन’ पॉलिसी के तहत वीजा सिलैक्शन प्रोसैस में बदलाव करने की सोच रहा है। यह प्रस्ताव पहली बार वर्ष 2011 में पेश किया गया था। इसका मकसद एच-1बी आवेदन के सिलैक्शन प्रोसैस को बेहतर बनाना था। यू.एस. सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सॢवसेज (यू.एस.सी.आई.एस.) को प्रवासियों को वीजा देने का अधिकार है।

पहले होता है मास्टर्स डिग्री वालों के वीजा आवेदन पर विचार 
नोट में कहा गया है कि इस बदलाव से उन लोगों को वीजा मिलने की संभावना बढ़ेगी जिनके पास अमरीका की मास्टर्स डिग्री है। अमरीका हर साल कुशल पेशेवरों को 65,000 एच-1बी वीजा ऑफर करता है। इसके अलावा 20,000 वीजा अमरीका से मास्टर्स डिग्री या उससे ऊंची शिक्षा लेने वालों प्रवासियों को दिया जाता है। आमतौर पर एजैंसी पहले मास्टर्स डिग्री वालों के वीजा आवेदन पर विचार करती है और उसके बाद बचे हुए आवेदनों को जनरल पूल को ऑफर करती है।

USCIS सभी आवेदकों को 65,000 वीजा पूल में रखेगी
प्रस्तावित नियम में यू.एस.सी.आई.एस. सभी आवेदकों को 65,000 वीजा पूल में रखेगी। इस लिमिट के खत्म होने के बाद एडवांस डिग्री रखने वालों के आवेदन को 20,000 वाले वीजा पूल में भेजा जाएगा। अमरीकी राजनीतिक न्यूज साइट पॉलिटिको ने डिपार्टमैंट ऑफ  होमलैंड सिक्योरिटी के सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार के मुताबिक इससे अमरीका से ऊंची शिक्षा हासिल करने वाले 15 प्रतिशत अधिक लोगों को वीजा मिल सकता है।

संभावित वीजा कोटा हो सकता है कम 
भारतीय आई.टी. कम्पनियां ज्यादातर बैचलर डिग्री रखने वालों को हायर करती हैं इसलिए उनके लिए संभावित वीजा कोटा कम हो सकता है। कुछ आई.टी. कम्पनियां सख्त वीजा नियमों के चलते पहले ही मार्जिन में कमी का सामना कर रही हैं। उन्हें अमरीकी क्लाइंट्स का काम पूरा करने के लिए अमरीका के अधिक नागरिकों को नौकरी पर रखना पड़ रहा है। इससे उनकी लागत बढ़ी है। वे कई काम दूसरी कम्पनियों को ठेके पर दे रही हैं क्योंकि उन्हें लोकल हायरिंग बढ़ाने में कई बार दिक्कत होती है।


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Supreet Kaur

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