GST: टैक्स चोरी रोकने के लिए बनेगी 2 नई एजैंसियां

punjabkesari.in Wednesday, May 17, 2017 - 12:05 PM (IST)

नई दिल्लीःएक जुलाई से लागू होने जा रही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के पहले सरकार इसके तहत कर चोरी का पता लगाने के लिए जिम्मेदार संस्था को मजबूत कर रही है। इसके साथ ही वह दो नई एजेंसियां भी गठित करेगी। इसमें एक व्यापारिक सूचना व विश्लेषण से जुड़ी होगी। जीएसटी के प्रभावी होने पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट जैसे अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने अपने मौजूदा केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सर्विस टैक्स फील्ड फॉर्मेशन को नई आवश्यकताओं के अनुरूप पुनर्गठित किया है।

ये नई एजैंसियां
 बिजनेस इंटेलिजेंस के लिए और दूसरी एनालिटिक्स। बिजनेस इंटेलिजेंस का जिम्मा सोर्सेस के जरिए संभावित टैक्स चोरी का पता लगाना होगा। एनालिटिक्स में अवलेबल डाटा के एनालिसिस से यह पता लगाने की कोशिश होगी कि कोई कंपनी टैक्स चोरी कर रही है या नहीं। अभी टैक्स डिपार्टमेंट्स में इसके लिए अलग-अलग एजेंसियां होती हैं।

CBEC का नाम होगा CBIC
अभी इनडायरेक्ट टैक्सेज की टॉप बॉडी सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC) है। नई टैक्स व्यवस्था के लिए इसने भी अपने एक्साइज और सर्विस टैक्स ढांचे में बदलाव किए हैं। जी.एस..टी में इसका नाम बदलकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) हो जाएगा। जी.एस.टी. और कस्टम का जिम्मा इसी के पास रहेगा। इसमें चेयरमैन के अलावा 6 मेंबर होंगे। हर मेंबर की जिम्मेदारी अलग होगी- जीएसटी; आईटी; लीगल और कंप्लायंस ‌वेरिफिकेशन; इन्वेस्टिगेशन; टैक्स पॉलिसी; कस्टम और एडमिनिस्ट्रेशन, विजिलेंस।

टैक्स चोरी पकड़ना आसान होगा
 टैक्स एक्सपर्ट राजेश्वर दयाल और सीए एस.कृष्णन ने बताया कि ऐसी व्यवस्था अब भी है। केंद्र के एक्साइज और सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट में इंटेलिजेंस और डाटा के विंग होते हैं। राज्यों के वैट विभाग में भी एंटी इवेजन विंग होता है। फर्क यह होगा कि अभी हर विभाग अलग काम करता है, जी.एस.टी. में जानकारी एक जगह आएगी तो टैक्स चोरी पकड़ना आसान होगा। ज्वेलरी इंडस्ट्री को 1.25% टैक्स की उम्मीद है। जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन ने कहा है कि वह जुलाई से जीएसटी के लिए तैयार हैं। फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने मीडिया से बातचीत में उम्मीद जताई कि इस सेक्टर पर 1.25% टैक्स लगेगा। अभी ज्यादातर राज्यों में 1% एक्साइज और 1% वैट (कुल 2%) टैक्स लगता है। टैक्स रेट ज्यादा होने से ग्रे-मार्केट बढ़ेगा और ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की दिक्कतें बढ़ेंगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News