मुखौटा कंपनियों पर यूं शिकंजा कसने की तैयारी में सरकार

punjabkesari.in Sunday, May 13, 2018 - 06:34 PM (IST)

नई दिल्लीः विभिन्न एजेंसियां और नियामक सिर्फ कागज पर मौजूद संदिग्ध कंपनियों की वित्तीय अनियमितताओं के लिए जांच कर रही हैं। वहीं सरकार ऐसी मुखौटा कंपनियों के लिए एक उचित परिभाषा लाने की तैयारी कर रही है जिससे जांच में अड़चन न आए और अभियोजन कानून के समक्ष टिक सके। कई कंपनियों द्वारा मनी लांड्रिंग और अन्य वित्तीय गड़बडिय़ों के लिए ‘मुखौटा कंपनियों’ का इस्तेमाल करने का आरोप है। इन कंपनियों ने हाल के महीनों में अपने खिलाफ नियामकीय कार्रवाई को चुनौती दी है।

अधिकारियों ने कहा कि इसी के मद्देनजर इन नियामकीय खामियों को दूर करने की जरूरत महसूस हुई है ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाई जा सके। जांच और अभियोजन में अड़चन डालने वाला एक प्रमुख मुद्दा मुखौटा कंपनियों के लिए एक उचित और समान परिभाषा का अभाव है। अधिकारियों ने कहा कि जिन कंपनियों को सिर्फ वित्तीय गड़बडिय़ों के लिए स्थापित किया जाता है या फिर जिनको भविष्य के इस्तेमाल के लिए निष्क्रिय रखा जाता है उन्हें मुखौटा कंपनियां कहा जाता है। ये कंपनियां सिर्फ कागजों पर होती हैं और धोखाधड़ी करने वाले अपनी गड़बड़ी वाली गतिविधियों के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को बहु एजेंसी कार्यबल से शुरूआती सुझाव मिले हैं। इस कार्यबल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू), राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई), सेबी और आकयर विभाग के अधिकारी शामिल हैं। इन सुझावों में मुखौटा कंपनियों की परिभाषा के लिए कुछ संभावित मानक सुझाए गए हैं। अब इन पर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और सेबी तथा रिजर्व बैंक के अधिकारियों द्वारा आगे विचार किया जाएगा। इसके अलावा वित्तीय स्थायित्व एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) में भी इस पर विचार किया जा सकता है। 


 


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jyoti choudhary

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