EPFO के SC-ST खाताधारकों की ओर से सरकार करेगी अंशदान, इन कर्मचारियों को भी मिलेगा तोहफा
punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2019 - 01:27 PM (IST)
नई दिल्लीः केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एक सर्वे शुरू किया है। इसमें इम्प्लॉयीज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) में अंशदान करने वाले विभिन्न कंपनियों के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने वाले कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है। प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को भी इसमें शामिल किया गया है। यह सर्वे नीति आयोग द्वारा संचालित किया जा रहा है। शुरुआत में इसमें सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों यानी पीएसयू को शामिल किया गया था लेकिन अब इसके दायरे में प्राइवेट कंपनियां भी आएंगी। क्षेत्रीय प्रॉविडेंट फंड ऑफिसों की ओर से कंपनियों से एक खास फॉर्मेट में एससी-एसटी कर्मचारियों से जुड़ी जानकारियां मांगी गई हैं।
सूत्रों का कहना है कि SC/ST कर्मचारियों की संख्या पता करने का मकसद सामाजिक सुरक्षा के तहत उन्हें वित्तीय मदद देने के लिए है। श्रम मंत्रालय से सलाह करने के बाद इस सर्वे का उद्देश्य यह जानना है कि SC/ST कर्मचारियों द्वारा पीएफ और पेंशन फंड के तौर पर कितनी रकम जमा की जाती है। कंपनियों से चार कॉलम के टेबल में जानकारी मांगी गई है। इसमें कंपनी का नाम, कर्मचारियों की संख्या, एससी और एसटी कर्मचारियों की संख्या आदि की सूचना मांगी गई है।
सूत्रों के मुताबिक, पीएफ खाते में कंपनी की ओर से दिया जाने वाला अंशदान पहले की तरह जारी रहेगा, वहीं सरकार SC/ST कर्मचारियों की ओर से ईपीएफओ में अंशदान करेगी। बता दें कि इस महीने की शुरुआत में शुरू हुए इस सर्वे को पर नीति आयोग बीते कुछ साल से विचार करता रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार के पास पब्लिक सेक्टर कंपनियों में काम करने वाले एससी-एसटी कर्मचारियों के आंकड़े पहले से हैं, एक बार प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की जानकारी मिलने के बाद वह उन कर्मचारियों की ओर से ईपीएफओ अंशदान का भुगतान करने में सक्षम होगी। सरकार का मानना है कि इससे SC/ST कर्मचारियों की वित्तीय हालत बेहतर करने में मदद मिलेगी।
बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों ने इस सर्वे में प्राइवेट सेक्टर के आकड़ों में त्रुटि होने की आशंका जताई है क्योंकि यहां आरक्षण के आधार पर नियुक्तियां नहीं होती हैं। सूत्रों के मुताबिक, अफसरों को ऐसा लगता है कि निजी कंपनियों के आंकड़े जुटाने में समस्या आएगी क्योंकि मुमकिन है कि यहां कर्मचारी अपनी जाति से जुड़ी जानकारियां साझा न करें।