अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप जरूरी : गुरुमूर्ति

punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2017 - 11:34 AM (IST)

चेन्नई: आर्थिक समीक्षक और तमिल पत्रिका ‘तुगलक’ के संपादक एस. गुरुमूर्ति ने अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है। जानकारी के मुताबिक गुरुमूॢत ने कहा कि अब यह स्थिति ज्यादा समय तक नहीं चल सकती। गुरुमूर्ति मद्रास स्कूल ऑफ  इक्नॉमिक्स में आयोजित एक कार्यक्रम में नोटबंदी के विषय पर बोल रहे थे। इस दौरान उनका कहना था कि मुझे लग रहा है कि हम नीचे जा रहे हैं।

चाहे फंसे हुए कर्ज (एन.पी.ए.) को लेकर हो या मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डिवैल्पमैंट एंड रीफाइनैंस एजैंसी बैंक) के संबंध में। सरकार को जल्द कोई फैसला लेना होगा। उन्होंने कहा कि मैं यहां सरकार का बचाव करने नहीं आया हूं। नोटबंदी के फायदे थे लेकिन उस पर इतना खराब अमल हुआ कि काला धन रखने वाले बच गए। नकदी के खत्म होने से आॢथकी के उस अनौपचारिक क्षेत्र को लकवा मार गया है जो 90 प्रतिशत रोजगार देता था और जिसको 95 प्रतिशत पूंजी बैंकों के बाहर से मिलती है। नतीजतन कुल उपभोग और रोजगार जड़ हो गया है। आज छोटे कामों का अनौपचारिक क्षेत्र 360.480 प्रतिशत की ब्याज दर पर पैसा उधार ले रहा है।

कड़े फैसलों से वापस पटरी पर आ सकती है अर्थव्यवस्था 
गुरुमूर्ति ने कहा कि अगर अगले 6 महीने में 2-3 कड़े फैसले लिए जाते हैं तो अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आ सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि सही नीति लागू करने से अर्थव्यवस्था तुरंत रफ्तार पकड़ लेगी।’’ स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक गुरुमूर्ति का यह विश्लेषण भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने अर्थव्यवस्था के अनियंत्रित होने की बात कही थी।

एक इंटरव्यू में स्वामी ने चेतावनी दी थी कि अब अगर अर्थव्यवस्था नहीं संभली तो फिर मंदी की हालत में पहुंच जाएगी। अपने संबोधन में गुरुमूर्ति का कहना था कि सरकार जल्दबाजी में बहुत कुछ कर रही है। नोटबंदी, एन.पी.ए. नियम, दिवालियापन कानून, जी.एस.टी. और काले धन पर जोर एक बार में इतना सब हो रहा है। व्यापार में इतना सब एक साथ नहीं होता।
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मोदी समर्थक रहे हैं गुरुमूर्ति 
जान लें कि यह वही गुरुमूर्ति हैं जो नरेंद्र मोदी के नंबर वन समर्थक रहे हैं। संघ-स्वदेशी को भाजपा में जिन्हें आर्थिक चिंतक माना जाता है। जो अनौपचारिक बातचीत में करीबियों के बीच कहते रहे हैं कि नोटबंदी सुनहरा अध्याय है और नरेंद्र मोदी ही ऐसा कर सकते थे। उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी आर्थिक क्रांति लाएंगे। 


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