कम्पनी एक्ट अपडेट करने की तैयारी में सरकार

punjabkesari.in Thursday, Oct 25, 2018 - 10:01 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार 2013 में लागू नए कम्पनी कानून को सरल बनाने के लिए उसकी कई धाराओं में बदलाव करने पर विचार कर रही है। कम्पनी मामलों का मंत्रालय जिन बदलाव पर सक्रियता से विचार कर रहा है, उनमें विलय एवं अधिग्रहण (मर्जर एंड एक्विजिशन) को फास्ट ट्रैक करना, दोबारा गलती होने पर पनैल्टी डबल करना, इंडीपैंडैंट डायरैक्टर का वेतन बढ़ाना और चैरिटी के मकसद से बनी सैक्शन 8 कम्पनियों को कमॢशयल में कन्वर्जन पर रोक लगाना है।

कम्पनियों को गलतियां करने से रोकेगा
एक सीनियर सरकारी अफसर ने कहा कि जो गलतियां तकनीकी और प्रक्रिया से जुड़ी होती हैं, उन्हें इन हाऊस एडजुडिकेशन मैकेनिज्म में शिफ्ट किया जाएगा। एक गलती 3 साल में दूसरी बार होने पर पनैल्टी लगेगी, जो प्रस्तावित पनैल्टी से डबल होगी। एडवाइजरी कॉर्पोरेट प्रोफैशनल्स के फाऊंडर और मैनेजिंग डायरैक्टर पवन विजय कहते हैं कि यह कम्पनियों को गलतियां करने से रोकेगा। बदलाव के ज्यादातर प्रस्तावों के जरिए सरकार कानून को सरल बनाने की कोशिश कर रही है।

बढ़ सकता है कम्पनी के इंडिपैंडैंट डायरैक्टर का वेतन
एक कम्पनी के इंडीपैंडैंट डायरैक्टर का अधिकतम वेतन बढ़ाकर उनकी कुल आय के 25 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव है। मौजूदा कानूनों के मुताबिक किसी कम्पनी में उनका वेतन उनकी कुल आय के 10 प्रतिशत तक हो सकता है, जिसमें सिटिंग फी और कमीशन भी शामिल है। इंडीपैंडैंट डायरैक्टर्स की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उनके वेतन को जून में कम्पनी कानून की धारा 149 के प्रावधानों में बदलाव करके मंजूरी दी गई थी। पुराने रूल्स में इंडीपैंडैंट डायरैक्टर की पूर्ण स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए तय किया गया था कि उनका कम्पनी से सिटिंग फी और कमीशन के अलावा दूसरा कोई मौद्रिक संबंध नहीं होगा।

कम्पनी में कन्वर्जन वाले प्रावधान को खत्म करने पर हो रहा विचार
सरकार सैक्शन 8 कम्पनियों के कमर्शियल कम्पनियों में कन्वर्जन पर रोक लगाने पर भी विचार कर रही है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि अभी सैक्शन 8 कम्पनियों को कमॢशयल कम्पनियों में बदला जा सकता है लेकिन हम कई तरह की टैक्स छूट पाने वाली सैक्शन 8 कम्पनियों को कमॢशयल कम्पनी में कन्वर्जन वाले प्रावधान को खत्म करने पर विचार कर रहे हैं। इंकम टैक्स एक्ट के सैक्शन 8 के मुताबिक कॉमर्स, आर्ट, साइंस, स्पोर्ट्स, एजुकेशन, रिसर्च, सोशल वैल्फेयर, रिलीजन, चैरिटी, एनवायरनमैंट प्रोटैक्शन और ऐसे कई और मकसद से कम्पनियों का गठन किया जा सकता है। इनके साथ यह शर्त जुड़ी होती है कि उनको होने वाले लाभ या अन्य आय का इस्तेमाल कम्पनी के मूल मकसद को बढ़ावा देने में किया जाएगा और उसके सदस्यों को कोई लाभांश नहीं दिया जाएगा।  
 


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