50 स्ट्रैस्ड लोन अकाऊंट्स पर सरकार की नजर!

punjabkesari.in Wednesday, May 31, 2017 - 11:31 AM (IST)

नई दिल्ली: सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ  इंडिया (आर.बी.आई.) और कुछ जांच एजैंसियों की वॉचलिस्ट में 50 स्ट्रैस्ड लोन अकाऊंट्स हैं। इस लिस्ट में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिंदल ग्रुप की कम्पनियां-जैसे जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, जे.पी. ग्रुप, लैंको इन्फ्राटैक, मॉनेट इस्पात, एस्सार लिमिटेड और भूषण स्टील शामिल हैं। इनमें से कुछ लोन अकाऊंट्स मुश्किल में दिख रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें सभी बैंकों ने एन.पी.ए. कैटागरी में नहीं डाला है।

कौन से अकाऊंट्स है इसमें शामिल
इस लिस्ट में वैसे लोन अकाऊंट्स शामिल हैं, जो दिसम्बर 2016 तक बैड लोन हो गए थे या जिनकी रिस्ट्रक्चरिंग हो रही है। इन टॉप 50 अकाऊंट्स में करीब 4-5 लाख करोड़ रुपए फंसे हुए हैं जो सरकारी बैंकों के कुल बैड लोन का 80-85 पर्सैंट हैं। अप्रैल 2016 के बाद से सरकारी बैंकों का बैड लोन 1 लाख करोड़ रुपए बढ़कर 31 दिसम्बर तक 6 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था।

बैंकों का लोन रिकवरी का दावा खोखला
बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में लोन रिकवरी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए थे, लेकिन उनका रिकवरी का दावा खोखला साबित हुआ। टॉप-10 सरकारी और प्राइवेट बैंकों के एनालिसिस से पता चलता है कि ये बैंक पिछले वित्त वर्ष में सिर्फ  47,240 करोड़ रुपए का लोन ही रिकवर कर पाए, जिसमें से 16,000 करोड़ रुपए तो मार्च 2017 तिमाही में रिकवर किए गए।37 लिस्टेड बैंकों के ग्रॉस नॉन-परफॉॄमग एसेट्स मार्च 2017 के अंत तक 7.1 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए थे, जबकि मार्च 2016 के अंत में ये 5.71 लाख करोड़ रुपए थे। एसेट रिकंस्ट्रक्शन कम्पनियों के पास फंड की कमी और जांच एजैंसियों के पीछे पडऩे के डर से लोन रिकवरी का काम ठंडे बस्ते में चला गया है।

एन.पी.ए. की प्रॉब्लम इक्नॉमिक ग्रोथ की राह में बनी रुकावट
सरकार और आर.बी.आई. एन.पी.ए. की प्रॉब्लम सुलझाना चाहते हैं, जो इक्नॉमिक ग्रोथ की राह में रुकावट बना हुआ है। वित्त मंत्री अरुण जेतली कई बार कह चुके हैं कि बैड लोन की समस्या व्यापक नहीं है। यह सिर्फ 30-50 कम्पनियों से जुड़ी है। उन्होंने इस साल अप्रैल में न्यूयॉर्क  यात्रा के दौरान कहा था कि ऐसे अकाऊंट्स की संख्या सैंकड़ों या हजारों में नहीं है। भारतीय इकॉनमी के साइज को देखते हुए इस समस्या को सुलझाना मुश्किल नहीं है।


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