RBI की सख्ती के बाद गोल्ड लोन में 30% उछाल, असुरक्षित कर्ज की मांग घटी
punjabkesari.in Thursday, Sep 19, 2024 - 12:15 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः क्रेडिट कार्ड और असुरक्षित कर्ज पर आरबीआई की सख्ती का असर दिखने लगा है। इस साल जून तक बैंकों से लिए गए गोल्ड लोन में 30% की बढ़ोतरी हुई, जबकि असुरक्षित पर्सनल लोन की ग्रोथ सिर्फ 15% रही। नतीजतन, कुल पर्सनल लोन में गोल्ड लोन की हिस्सेदारी 20 महीनों के उच्चतम स्तर 2.3% तक पहुंच गई।
गोल्ड लोन की मांग में इजाफा
2021 में गोल्ड लोन में 81.6% की सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई थी, जब कोविड के कारण लोगों ने सोना गिरवी रखकर कर्ज लिया था। जून 2023 तक, बैंकों से लिए गए गोल्ड लोन की कुल बकाया राशि 1.24 लाख करोड़ रुपए हो गई। रिजर्व बैंक के अनुसार, 2023-24 में संस्थागत गोल्ड लोन का कुल मार्केट 7.1 लाख करोड़ रुपए का हो गया। PwC इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अगले पांच वर्षों में गोल्ड लोन मार्केट दोगुना होकर 14.19 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
गोल्ड लोन बना सस्ता कर्ज विकल्प
गोल्ड लोन की ब्याज दरें पर्सनल लोन की तुलना में काफी कम हैं। जहां गोल्ड लोन की ब्याज दरें 8.50% से शुरू होकर अधिकतम 17.90% तक जाती हैं, वहीं पर्सनल लोन की दरें 9.99% से शुरू होकर 44% तक पहुंच सकती हैं। गोल्ड लोन एक सिक्योर्ड लोन है, जबकि पर्सनल लोन असुरक्षित होते हैं, जिसके कारण ब्याज दरों में यह बड़ा अंतर है।
आरबीआई की सख्ती का असर
इंडेल मनी के सीईओ उमेश मोहनन के अनुसार, आरबीआई द्वारा असुरक्षित कर्ज की शर्तें कड़ी किए जाने के बाद बैंक और एनबीएफसी गोल्ड लोन जैसे सुरक्षित उत्पादों पर फोकस कर रहे हैं। इसके साथ ही, गोल्ड लोन कंपनियां आक्रामक मार्केटिंग भी कर रही हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में बढ़ा निवेश
आरबीआई के रिटेल डायरेक्ट ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में रिटेल निवेश तेजी से बढ़ रहा है। 9 सितंबर तक, एसजीबी में रिटेल निवेश 63% बढ़कर 738.67 किलो हो गया। 11 सितंबर 2023 तक यह 453.78 किलो था, जबकि 10 अक्टूबर 2022 को यह होल्डिंग 211.84 किलो थी। विशेषज्ञों के अनुसार, फरवरी के बाद से कोई नई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सीरीज लॉन्च नहीं की गई है, और नई सीरीज आने की संभावना भी नहीं दिख रही है। इसलिए, डीमैट अकाउंट होल्डर्स सेकंडरी मार्केट में प्रीमियम पर गोल्ड बॉन्ड खरीद रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ऐसे निवेशक जो फिजिकल सोना खरीदने की झंझट से बचना चाहते हैं, वे गोल्ड बॉन्ड को प्राथमिकता दे रहे हैं।