GST के कई अधिनियमों ने उड़ाई SME की नींद!

punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2017 - 10:54 AM (IST)

मुम्बई : गुड्स एंड सॢवस टैक्स (जी.एस.टी.) में सरकार और टैक्स देने वाले समुदाय ने जी.एस.टी. से छोटे और मझोले उद्यमों (एस.एम.ई.) पर पडऩे वाले असर को नजरअंदाज कर दिया है।यही वजह है कि कई एस.एम.ई. अब खुलकर आगे आ रहे हैं और अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रख रहे हैं। बताते चलें कि वर्ष 2012-13 की जी.डी.पी. में एस.एम.ई. कम्पनियों ने लगभग 38 प्रतिशत का योगदान दिया है।
 

घटेगी उत्पाद शुल्क की छूट
मौजूदा उत्पाद शुल्क कानून के तहत एस.एम.ई. सैक्टर को 1.5 करोड़ रुपए की उत्पाद शुल्क पर छूट मिलती है लेकिन जी.एस.टी. लागू होने के बाद यह उत्पाद शुल्क की छूट घटकर 20 लाख रुपए हो जाएगी। छोटे कारोबारियों को इसके लागू होने के बाद कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। देखा जाए तो 5 बड़ी नींद उड़ाने वाली चुनौतियां एम.एस.एम.ई. सैक्टर के सामने आ सकती हैं। इनमें मैन्यूफैक्चरिंग, सेल, सर्विस , वैल्यूएशन और इनपुट कॉस्ट बढऩे की चुनौती सबसे बड़ी होगी।

जबरन इनपुट-टैक्स क्रैडिट
सॉफ्टवेयर कम्पनी टैली सॉल्यूशन्स के प्रबंध निदेशक भारत गोयंका ने कहा कि एम.एस.एम.ई. में जबरन इनपुट-टैक्स क्रैडिट को लागू करने से एम.एस.एम.ई. अर्थव्यवस्था को नुक्सान हो सकता है। जी.एस.टी. अधिनियम के तहत, एक उद्यम आऊटपुट पर टैक्स देने के समय निवेश से पहले ही चुकाए गए टैक्स को कम किया जा सकता है। इसे आमतौर पर ‘इनपुट क्रैडिट’ के रूप में जाना जाता है।जी.एस.टी. से भी बढ़ेंगे छोटी कारों के दामजी.एस.टी. 1 जुलाई से लागू हो जाने के बाद छोटी और मझौली कारों के दामों में थोड़ी वृद्धि हो सकती है। जी.एस.टी. व्यवस्था के तहत विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की 4 दरों में से किसी न किसी एक दर में रखा जाएगा। जी.एस.टी. में कम से कम 10 केंद्रीय एवं राज्य स्तरीय कर समाहित हो जाएंगे और उनके स्थान पर केवल एक कर लगेगा। ये दरें वर्तमान कराधान के आसपास ही होंगी। छोटी कारों पर फिलहाल 12.5 प्रतिशत केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगता है। इसके अलावा राज्यों में उस पर 14.5 से 15 प्रतिशत वैट लगता है। इस तरह इन कारों पर कुल मिलाकर 27 से 27.5 प्रतिशत कर लगता है। वहीं वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस श्रेणी की कार वहीं वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस श्रेणी की कारों के लिए निकटतम स्लैब 28 प्रतिशत का होगा, फलस्वरूप उनका दाम थोड़ा बढ़ जाएगा।

लेन-देन का रखना होगा रिकॉर्ड
प्रत्येक बी.2बी. कम्पनियों के लेन-देन का महीने का हिसाब रखा जाता है। करदाताओं को प्रत्येक गतिविधियों को लिए आपूॢत के बिल, चालान, क्रैडिट व डैबिट नोट, रसीद व भुगतान वाऊचर और ई-बिल के विवरण अलग से रखना होगा। कर अधिकारियों को जी.एस.टी. आने के बाद लगभग 6.5 मिलियन से अधिक कारोबारियों को हिसाब व हर महीने 1.2 अरब और 2 अरब के बीच रसीदों को अपलोड करना होगा।  कुल एस.एम.ई. करीब 3 करोड़ के आसपास है। इसमें से माइक्रो एंटरप्राइजेज 0, स्मॉल एंटरप्राइजेज  और मीडियम एंटरप्राइजेज 1 पर्सैंट है, वहीं 97 पर्सैंट एस.एम.ई. कम्पनियां पार्टनशिप और प्रॉपराइटरशिप में हैं, जहां दोनों पार्टनर अपनी व्यक्तिगत सैलरी से अलग-अलग टैक्स देते हैं।

 


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