बिना फूड सेफ्टी लाइसैंस के चल रहे 80 प्रतिशत ढाबे, रेस्तरां

punjabkesari.in Thursday, May 30, 2019 - 10:52 AM (IST)

मुम्बई: देश के काफी होटलों, रेस्तरांओं, ढाबों में खाने-पीने का मामला रामभरोसे चल रहा है। 80 प्रतिशत ढाबे व रेस्तरां बिना फूड सेफ्टी लाइसैंस के चल रहे हैं। इसे देखते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ  इंडिया (एफ.एस.एस.ए.आई.) पर दबाव बढ़ा है कि वह खासतौर पर छोटे कारोबारियों का रजिस्ट्रेशन करने में तेजी दिखाए। फूड रैगुलेटर और नैशनल रैस्टोरैंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एन.आर.ए.आई.) के लेटैस्ट डाटा के अनुसार देश में करीब 24.9 लाख फूड बिजनैस ऑप्रेटर्स (एफ.बी.ओ.) हैं। इनमें से महज 4.67 लाख के पास एफ.एस.एस.ए.आई. लाइसैंस है। एफ.बी.ओ. में रैस्टोरैंट, ईटरी, ढाबा जैसे सभी प्लेटफॉर्म आते हैं। 

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पिछले हफ्ते एफ.एस.एस.ए.आई. ने सभी राज्यों के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को लैटर भेजकर कहा था कि अगर जांच-पड़ताल में कोई कमी न मिले तो आवेदन के 2 महीने के भीतर कारोबारी को लाइसैंस दे दिया जाए। उसने यह छूट दी थी कि बहुत छोटे कारोबारी मंजूरी मिलने या आवेदन रद्द होने के बारे में निर्णय न होने पर भी कामकाज शुरू कर सकते हैं। लैटर के अनुसार अगर एक हफ्ते के भीतर रसोई और खाने के निरीक्षण का आदेश नहीं आता है या फिर एक महीने के भीतर आवेदन पर कोई फैसला नहीं होता है तो ऑप्रेटर बिजनैस शुरू कर सकते हैं। 

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65 प्रतिशत असंगठित 
फूड सर्विस सैक्टर की वैल्यू करीब 4.23 लाख करोड़ रुपए है, लेकिन इंडस्ट्री का 65 प्रतिशत हिस्सा अभी भी असंगठित है। हालांकि एन.आर.ए.आई. को भरोसा है कि यह आंकड़ा 2023 तक गिरकर 57 प्रतिशत पर आ जाएगा। एन.आर.ए.आई. के प्रैजीडैंट राहुल सिंह ने कहा कि ये असंगठित कारोबार एफ.एस.एस.ए.आई. या जी.एस.टी. के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं। इससे हैल्थ और टैक्स, दोनों का नुक्सान होने का जोखिम रहता है। एफ.एस.एस.ए.आई. की सतर्कता, उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता और एग्रीगेटर्स की डीलिस्टिंग के चलते इंडस्ट्री रजिस्ट्रेशन का ट्रैंड बढ़ रहा है।


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Anil dev

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