भारत से 3 अरब डॉलर के रत्नाभूषण निर्यात पर संकट

punjabkesari.in Friday, Dec 23, 2016 - 02:33 PM (IST)

मुंबईः भारत से यूरोपीय संघ को 3 अरब डॉलर के रत्न और आभूषण निर्यात पर संकट पैदा हो गया है। इसकी वजह यह है कि यूरोपीय संघ ने रत्न एवं आभूषण को सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) की सूची से बाहर कर दिया है। जीएसपी के तहत कर प्रोत्साहन मुहैया कराए जाते हैं। जीएसपी के तहत भारत को पिछले तीन साल से यूरोपीय संघ के विभिन्न देशों में 2.5 से 4 फीसदी सीमा शुल्क लाभ और 20 से 25 फीसदी मूल्य संवर्धित कर (वस्तु एवं सेवा कर) का फायदा मिल रहा था। इस लाभ के चलते भारती निर्यातकों ने यूरोपीय संघ को रत्न एवं आभूषणों का निर्यात बढ़ाया था। इसके नतीजतन वित्त वर्ष 2014-15 में भारत का रत्न एवं आभूषण निर्यात बढ़कर 3.55 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि बाजार की स्थितियां अनुकूल न होने के कारण 2015-16 में निर्यात 10 फीसदी घटकर 3.17 अरब डॉलर रहा। 

हालांकि संशोधित सूची में यूरोपीय संघ ने रत्न एवं आभूषणों को जीएसपी की सूची से बाहर कर दिया है। इसका मतलब है कि जीएसपी के दायरे में नहीं आने वाली जिंसों पर लगने वाले सभी सीमा शुल्क और वैट अब भारत से रत्न एवं आभूषण निर्यात पर भी लगेंगे। भारत से हर साल 39 अरब डॉलर के रत्न एवं आभूषणों का निर्यात होता है, जिसमें से करीब 8 फीसदी निर्यात यूरोपीय संघ को होता है। 

यूरोपीय संघ ने ऐसे समय जीएसपी की सूची से रत्न एवं आभूषणों को बाहर किया है, जब भारतीय रत्नाभूषण निर्यातकों को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोपीय संघ में अनिश्चितता के कारण अपने निर्यात की रफ्तार बनाए रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देश के रत्नाभूषण निर्यातकों के लिए नए बाजार खोजना भी मुश्किल हो गया है। 

रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के चेयरमैन प्रवीण शंकर पांड्या ने कहा, 'जीएसपी की सूची से बाहर करने के फैसले का निश्चित रूप से हमारे रत्न एवं आभूषण निर्यात पर असर पड़ेगा क्योंकि वहां कीमती गहनों के निर्यात पर सीमा शुल्क और जीएसटी सहित सभी वर्तमान शुल्क लागू हो जाएंगे।' वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अवधारणा पत्र के मुताबिक यूरोपीय संघ के कानून के मुताबिक किसी जिंस को जीएसपी से बाहर तब किया जाता है, जब यूरोपीय संघ के जीएसपी आयात में उस जिंस का लगातार तीन साल तक हिस्सा न्यूनतम सीमा 17.5 फीसदी को पार कर जाता है। 

मुंबई के एक आभूषण निर्यातक ने कहा, 'शुल्क लागू होने के कारण भारत से निर्यात होने वाले रत्न और आभूषण यूरोपीय ग्राहकों के लिए किफायती नहीं रह जाएंगे। इसलिए भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय बाजार में प्रतिस्पर्धी रहने के लिए अपने निर्यातित माल की कीमत प्रतिस्पर्धी देशों के समान स्तर पर लानी होगी। अन्यथा यूरोपीय खरीदार गहनों की खरीदारी के लिए अन्य देशों को रुख कर लेंगे।'

इस बीच इस क्षेत्र की शीर्ष संस्था जीजेईपीसी वाणिज्य मंत्रालय के सामने यह मसला उठाने की योजना बना रही है। यह संस्था चाहती है कि वाणिज्य मंत्रालय जीएसपी सूची में बदलाव के लिए यूरोपीय संघ के नीति-निर्माताओं के साथ फिर से बातचीत शुरू करे। पांड्या ने कहा, 'हम निश्चित रूप से जल्द ही यह मसला वाणिज्य मंत्रालय के सामने उठाएंगे।' भारतीय निर्यातक एंटवर्प में शुल्क मुक्त जोन के जरिये कटे एवं तराशे हुए हीरों का बड़ी मात्रा में निर्यात करते हैं। हालांकि इसमें भारतीय निर्यातकों को आगे भी कर लाभ मिलता रहेगा। 


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