दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था का बेहतर रहेगा प्रदर्शन

punjabkesari.in Tuesday, Nov 01, 2016 - 05:28 PM (IST)

नई दिल्लीः आधारभूत संरचनाओं के विकास पर जोर दिए जाने के साथ ही प्रभावी नीतिगत सुधारों और भारतीय मुद्रा की मजबूती के दम पर चालू वित्त वर्ष की अंतिम छमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। उद्योग संगठन एसोचैम -बिजकॉन के ताजा संयुक्त सर्वेक्षण के अनुसार इसमें शामिल लोंगों में से 66.70 प्रतिशत को ब्रिकी में बढ़ौतरी होने और क्षमता के पूर्ण उपयोग की उम्मीद है।  आधारभूत ढाचों के विकास के अलावा नीतिगत बदलावों ने भी सकारात्मक माहौल बनाया है। 

अमरीकी फेडरल रिजर्व की नीति में बदलाव को लेकर जारी अनिश्चितता और अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव के कारण ढुलमुल हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच लगभग स्थिर रहे विनिमय दर से भी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की संभावना है। 

सर्वेक्षण में शामिल अधिकतर लोगों का मानना है कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति कई मायनों में पहली छमाही की तुलना में बेहतर है। औद्योगिक प्रदर्शन के मामले में 83 प्रतिशित से अधिक लोगों का कहना था कि दूसरी छमाही में औद्योगिक स्तर पर स्थिति पहले से सुधर रही है। एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, ''सबसे अच्छी बात यह है कि व्यापार का माहौल सकारात्मक हुआ है, जो नए निवेश और उपभोक्ताओं का विश्वास अर्जित करने के लिए जरुरी है।''

कनोरिया ने कहा कि दूसरी छमाही में क्षमताओं के दोहन और मांग बढने की भी पूरी संभावना है। हालांकि रोजगार के नए अवसर पैदा होने और मजदूरी में सुधार की संभावना अब भी कम है। क्षमता दोहन के मामले में 66 प्रतिशित से अधिक प्रतिभागियों की राय में उद्योग संयंत्र या सेवा क्षेत्र में 70 प्रतिशत क्षमता का दोहन हो पाएगा जबकि 55.60 प्रतिशत का मानना है कि जुलाई से सितंबर 2016 के बीच बिक्री में बढ़ौतरी हुई है और अक्तूबर से दिसंबर 2016 की अवधि में इसमें और इजाफा हो सकता है। हालांकि, 38.90 प्रतिशित का मानना है कि अक्तूबर से दिसंबर 2016 के बीच उनके मुनाफे में कोई बदलाव नहीं आएगा।  

सर्वेक्षण से पता चलता है कि रोजगार के अवसर में दूसरी छमाही में भी कोई विशेष बढ़ौतरी नहीं हो रही है। 55.60 प्रतिशित का मानना है कि आने वाले दिनों में रोजगार की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा। मजदूरी के मामले में 44.40 प्रतिशत उद्योंगो का कहना है कि जुलाई से सितंबर 2016 के बीच मजदूरी में कोई सुधार नहीं हुआ है और करीब 50 प्रतिशत का कहना है कि अंतिम तिमाही में भी इसमें बदलाव की संभावना नहीं है। करीब 38.90 प्रतिशित प्रभागियों की राय में कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं।


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