AGR मामलाः दूरसंचार विभाग ने भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगी 20 साल की मोहलत

punjabkesari.in Tuesday, Mar 17, 2020 - 11:24 AM (IST)

नई दिल्लीः दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने दूरसंचार कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट से संपर्क किया। दूरसंचार विभाग ने सुप्रीम कोर्ट से करीब 1.47 लाख करोड़ रुपए के एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाए के भुगतान के लिए 20 साल समय की मंजूरी देने की मांग की। दूरसंचार विभाग ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों के प्रतिकूल कामकाज का अर्थव्यवस्था और देशभर के उपभोक्ताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

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दूरसंचार विभाग द्वारा शीर्ष कोर्ट में सोमवार को दायर अर्जी में कहा गया, 'कोर्ट के फैसले (अक्टूबर 2019) से प्रभावित सभी लाइसेंसधारकों को बाकी के भुगतान के लिए 20 साल के वार्षिक किस्तों में भुगतान की अनुमति दी जानी चाहिए।'

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क्या कहा डीओटी ने
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक डीओटी ने कहा कि फैसले की तारीख के बाद मूलधन व जुर्माना पर ब्याज नहीं लगेगा, जबकि बकाए पर 8 फीसदी के ब्याज से सरकार को भुगतान किया जाना चाहिए। अर्जी में कहा गया, 'आवेदक इस तथ्य से अवगत है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के कामकाज पर कोई भी प्रतिकूल प्रभाव न केवल राष्ट्र की समग्र अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, बल्कि उपभोक्ताओं के हितों को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा।'

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क्‍या है मामला
दरअसल, एयरटेल समेत देश की तमाम टेलीकॉम कंपनियों पर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपए का AGR बकाया था। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है।

दूरसंचार विभाग कहना था कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाली संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो। दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग के पक्ष को सही मानते हुए उसके समर्थन में फैसला दिया है।


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jyoti choudhary

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