8000000000 रुपए की क्रिप्टोकरेंसी चोरी कर इजरायली हैकर्स ने की राख, जानें क्यों?
punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 03:26 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष अब साइबर हमलों तक पहुंच गया है। इस टकराव का ताजा उदाहरण तब सामने आया जब इजरायली साइबर ग्रुप ‘प्रीडेटरी स्पैरो’ (Predatory Sparrow) ने दावा किया कि उन्होंने ईरान के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज नोबिटेक्स (Nobitex) से 90 मिलियन डॉलर (करीब 800 करोड़ रुपए) की क्रिप्टोकरेंसी चुराई और फिर उसे नष्ट कर दिया। समूह का कहना है कि यह एक राजनीतिक संदेश देने की रणनीति थी, न कि आर्थिक लाभ कमाने की कोशिश।
आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने का आरोप
‘प्रीडेटरी स्पैरो’ को फारसी में गोंजेशके दरंदे कहा जाता है। इस ग्रुप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा, “नोबिटेक्स आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का एक प्रमुख टूल बन गया है। हमारा साइबर हमला इसका जवाब है।”
नोबिटेक्स ने जवाब में कहा कि उनकी अधिकांश डिजिटल संपत्ति कोल्ड वॉलेट्स (ऑफलाइन स्टोरेज) में सुरक्षित है और बड़ी धनराशि इस हमले से प्रभावित नहीं हुई है।
पैसा चुराया नहीं, 'बर्न' कर दिया
क्रिप्टो रिसर्च फर्म Elliptic के अनुसार, हैकर्स ने करीब 100 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चुराईं, जिनमें बिटकॉइन और डॉगकॉइन शामिल हैं। मगर हैरानी की बात यह रही कि उन्होंने न तो इन टोकन को बेचा और न ही कहीं उपयोग किया, बल्कि इन्हें 'बर्न' यानी ब्लॉकचेन के ऐसे वॉलेट एड्रेस में भेज दिया गया जहां से उन्हें निकाला नहीं जा सकता।
ये वॉलेट एड्रेस भी खास तरह से बनाए गए थे। उनमें ‘FiRGCTerrorists’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया — जो कि ईरान की सैन्य शाखा IRGC (Islamic Revolutionary Guard Corps) के खिलाफ संकेत देते हैं।
इस हैक में लगी सुपर कंप्यूटिंग पावर
Elliptic के लीड थ्रेट रिसर्चर अर्दा अकार्टुना ने बताया कि इतने विशिष्ट शब्दों वाले हजारों ब्लॉकचेन एड्रेस जनरेट करना सामान्य कंप्यूटिंग से संभव नहीं, इसके लिए भारी कंप्यूटिंग पावर चाहिए। इससे साफ है कि यह सिर्फ आर्थिक नुकसान पहुंचाने का नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक हमला था — एक स्पष्ट साइबर युद्ध का इशारा।