न्यायालय ने केंद्र से राज्यों के रेरा कानूनों का परीक्षण करने को कहा

punjabkesari.in Tuesday, Feb 15, 2022 - 10:39 AM (IST)

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि विभिन्न राज्यों में रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण (रेरा) के तहत बने नियमों में क्या एकरूपता है और कहीं वे मकान खरीदारों के हितों की अनदेखी तो नहीं करते हैं। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने केंद्र को यह पता लगाने के लिए तीन महीने का समय दिया है कि राज्यों ने जो रेरा कानून बनाए हैं, वे केंद्र के 2016 में बने रेरा अधिनियम से अलग तो नहीं हैं। पीठ ने इस संदर्भ में मई, 2022 के पहले सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा।

न्यायालय ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले में शीर्ष अदालत की मदद के लिये देवाशीष भरूका को 'न्याय-मित्र' नियुक्त किया। याचिका में घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए बिल्डर-खरीदार समझौते को लागू करने का आग्रह किया गया है। 

शीर्ष अदालत ने इस पर गौर किया कि केंद्र सरकार ने रेरा कानून के अस्तित्व में आने के बाद 2016 में बिक्री के लिये समझौते के मसौदे को सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया था। फिलहाल पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों ने ये नियम अधिसूचित नहीं किये हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति में न्यायालय के लिये यह जानना जरूरी है कि राज्यों ने जो रेरा नियम बनाये, उसमें केंद्र के 2016 में बनाये कानून के जरूरी प्रावधानों को रखा गया है या नहीं। क्या उसमें कोई अंतर है, जिससे खरीदारों के हित प्रभावित हों।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय केंद्रीय स्तर पर राज्यों के नियम की जांच करेगा और इस बारे में रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश करेगा। हम अधिवक्ता देवाशीष भरूका से न्याय मित्र के रूप में मामले में शीर्ष अदालत की मदद का आग्रह करते हैं। वह नियमों की जांच में मंत्रालय की भी सहायता करेंगे।’’ 

 


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Content Writer

jyoti choudhary

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