वाहनों की बिक्री में गिरावट का सिलसिला जारी, आर्थिक मंदी के संकेत

punjabkesari.in Monday, Aug 12, 2019 - 10:58 AM (IST)

नई दिल्लीः अग्रणी ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने जुलाई महीने में अपनी घरेलू बिक्री में 50 फीसदी तक की गिरावट की घोषणा की है, वहीं बाजार में अग्रणी मारुति सुजूकी ने महीने के दौरान बिक्री में 36.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए कैश की कमी और उपभोक्ता भावना में गिरावट के कारण पिछले 13 महीनों में जुलाई महीना ऐसा रहा जिसमें ऑटो सैक्टर में घरेलू बिक्री में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।

घरेलू बिक्री में भारी गिरावट के चलते देश में सबसे ज्यादा नौकरियां सृजित करने वाला यह उद्योग अब अपने उत्पादन में भारी कटौती करने जा रहा है जिसका असर नौकरियों पर पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। विषय माहिरों के अनुसार वाहनों की बिक्री में जारी गिरावट का यह सिलसिला आर्थिक मंदी का संकेत दे रहा है। ऑटोमोबाइल सैक्टर में लगभग हरेक सैगमैंट में गिरावट दर्ज की गई है। 

  • जून 2019 में खत्म हुई तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में 18.4 फीसदी की गिरावट आंकी गई।
  • कमर्शियल व्हीकल्स की बिक्री में 16.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
  • दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी 11.7 फीसदी की गिरावट इस तिमाही में दर्ज हुई। 
  • यात्री वाहनों की बिक्री में जून 2019 की तिमाही में दर्ज 18.4 फीसदी की गिरावट 18 सालों में बड़ी गिरावट है। 2001-02 वर्ष की तीसरी तिमाही में बिक्री 27 फीसदी तक गिर गई थी।

नौकरियों में हो सकती है भारी कटौती  
वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट उपभोक्ता भावना में गिरावट के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में समग्र मंदी का संकेत है। पिछले एक साल की बिक्री में गिरावट के कारण प्रमुख निर्माताओं ने उत्पादन में कटौती की है और ऑटोमोबाइल सहायक कंपनियों सहित समग्र मोटर वाहन क्षेत्र दबाव में है। पिछले महीने अशोक लीलैंड ने कमर्शियल वाहनों की कमजोर मांग के कारण 24 जुलाई तक 9 दिनों के लिए उत्तराखंड के पंतनगर में अपना विनिर्माण संयंत्र बंद कर दिया। संयंत्र, जो सालाना 1.5 लाख इकाइयों का निर्माण कर सकता है, पहले 17 जून से 29 जून के बीच 7 दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। टाटा मोटर्स ने भी उत्पादकता में सुधार सुनिश्चित करने के लिए जुलाई में कुछ दिनों के लिए अपनी पंतनगर सुविधा को बंद करने का निर्णय लिया था। मारुति सुजूकी ने पिछले 7 महीनों के लिए वाहन उत्पादन में कटौती की है, जिसमें जुलाई 2019 भी शामिल है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में पहले से नौकरियों में कमी आई है, जिसमें डीलरशिप और सहायक शामिल हैं। बिक्री में लगातार गिरावट से अब निर्माताओं पर अपनी लागत में कटौती करने और हैडकाऊंट्स को कम करने के लिए दबाव बनाने की उम्मीद है।

क्यों गिरी कमर्शियल व्हीकल्स और ट्रैक्टरों की बिक्री?
वाहन बिक्री की गिरावट में एन.बी.एफ.सी. का तरलता संकट भी बड़ी भूमिका निभा रहा है, क्योंकि एन.बी.एफ.सी. टियर-टू और छोटे शहरों में महत्वपूर्ण ऋणदाता हैं। कमजोर कृषि धारणा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मंदी और इस साल मानसून औसत बारिश की कमी के चलते ट्रैक्टर की बिक्री में और गिरावट आई है। रबी उत्पादन के बाद खरीफ की बुवाई अब तक कमजोर बनी हुई है। इसके अलावा एक्सल लोड मानदंडों में सरकार द्वारा किए गए परिवर्तनों के चलते ट्रक की बिक्री को भी नुक्सान पहुंचा है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि कमर्शियल वाहनों की बिक्री में महत्वपूर्ण गिरावट तब से दिखाई दे रही है जब से एक्सल लोड मानदंड प्रभावी हुए हैं। उद्योग मांग को पुनर्जीवित करने के लिए एक कठोर नीति और अन्य नीति समर्थन उपायों की जरूरत है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर कमर्शियल व्हीकल्स के सैगमैंट में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में अप्रैल-जून 2019 में 9.53 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। जहां मध्यम और हैवी कमर्शियल व्हीकल्स में में 16.60 फीसदी की गिरावट आई, वहीं तिमाही के दौरान लाइट कमर्शियल व्हीकल्स में 5.06 फीसदी की गिरावट आई।

क्या हैं कार बिक्री में गिरावट के कारण 
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि एन.बी.एफ.सी. और बाजार में तरलता संकट (नकदी की कमी) एक बड़ा कारण है। ग्राहक विश्वास में गिरावट अन्य कारण है जिससे यात्री कारों की बिक्री लगातार गिरावट की ओर अग्रसर है। सूत्रों के अनुसार देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी की खुदरा बिक्री का एक तिहाई एन.बी.एफ.सी. द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और एन.बी.एफ.सी. क्षेत्र के लिए तरलता संकट के चलते ग्राहकों के लिए धन की कमी से बिक्री में गिरावट आई है। कई कारणों के चलते ग्राहक अपने खरीद निर्णय को स्थगित कर रहे हैं, जिनमें जी.एस.टी. दरों में कमी आने की उम्मीद और जनवरी से मार्च 2020 के बीच बी.एस.-4 से बी.एस.-6 में परिवर्तन से बड़ी छूट मिल सकती है। आने वाले सीजन में ग्राहक छूट की भी उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि कंपनी अधिकारियों को निकट भविष्य में गिरावट के इस रुझान के उलटने की उम्मीद कम है।

शेष वर्ष कैसा रहेगा ?
शेष वर्ष के लिए दृष्टिकोण कई कारकों पर निर्भर करेगा जिसमें मानसून की प्रगति और त्यौहारी सीजन के उतार-चढ़ाव के साथ-साथ तरलता की स्थिति में सुधार भी शामिल है। ट्रैक्टरों की तरह दोपहिया वाहनों की बिक्री में गिरावट ग्रामीण संकट का एक प्रमुख संकेतक है। दोपहिया सैग्मैंट में मोटरसाइकिल की बिक्री मुख्य रूप से ग्रामीण भारत पर निर्भर करती है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मोटरसाइकिलों को अपनी मजबूत संरचना, बेहतर प्रदर्शन और कम परिचालन लागत को देखते हुए विशेषकर अर्थव्यवस्था क्षेत्रों में मोटरसाइकिल को पसंद करते हैं। टू-व्हीलर वॉल्यूम में निरंतर सुस्ती चिंताजनक है। भारत अब भी दुनिया की सबसे बड़ा टू-व्हीलर मार्कीट है। भारत में हर 1000 में से केवल 102 लोगों के पास दोपहिया वाहन हैं जबकि इंडोनेशिया (281/1000) और थाईलैंड (294/1000) लोगों के पास दोपहिया वाहन हैं।


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Supreet Kaur

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