भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए चीन ने चली नई चाल, अब बढ़ाने जा रहा है इस जरूरी सामान के दाम
punjabkesari.in Monday, Jun 22, 2020 - 02:25 PM (IST)
नई दिल्लीः फार्मा प्रॉडक्ट के मामले में भारत की चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि वह अब इसका गलत फायदा उठाने लगा है। आपको बता दें कि भारतीय दवा कंपनियां अपनी जरूरत का 70 फीसदी API चीन से आयात करती हैं। लद्दाख गलवान घाटी घटना के बाद अब इन प्रॉडक्ट्स की कीमतें बढ़ानी शुरू कर दी हैं।
39 अरब डॉलर का दवा तैयार करता है भारत
भारत हर साल लगभग 39 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़) का दवा तैयार करता है। दवा तैयार करने के जरूरी स्टार्टिंग मटीरियल, API के लिए भारत बहुत हद तक चीन पर निर्भर है। भारतीय कंपनियां 70 फीसदी एपीआई की जरूरत चीन से आयात कर पूरा करती हैं। कुछ दवाओं के लिए यह 90 फीसदी तक है। वित्त वर्ष 2019 में भारत ने चीन से करीब 17,400 करोड़ (2.5 अरब डॉलर) का एपीआई आयात किया था।
कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के अंतर्गत आने वाले फार्मासूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने गलवान घाटी घटना को लेकर कहा कि चीन हम पर दो तरह से हमला कर रहा है। एक तरफ वह सीमा पर हमला कर रहा है और दूसरी तरफ भारत की निर्भरता का गलत फायदा उठाने लगा है। एपीआई की कीमत में तेजी से दवाओं की कीमत बढ़ने लगी है।
पेरासिटामोल की कीमत में 27% की तेजी
उन्होंने कहा कि पेरासिटामोल की कीमत में 27 फीसदी, ciprofloxacin की कीमत में 20 फीसदी और पेन्सिलीन जी की कीमत में 20 फीसदी की तेजी आई है। हर तरह के फार्मा प्रॉडक्ट की कीमत में करीब 20 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है।
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक
यह स्थिति गंभीर इसलिए है कि क्योंकि वॉल्यूम के लिहाज से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है। भारत की प्रमुख दवा बनाने वाली कंपनियां जैसे डॉक्टर रेड्डी लैब, लुपिन, ग्लेनमार्क फार्ममा, मायलन, जायडस कैडिला और पीफाइजर जैसी कंपनियां API के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर हैं। भारत 53 महत्वपूर्ण फार्म API का 80-90 फीसदी आयात चीन से करता है।