महंगाई में शंघाई और न्यूयॉर्क को भी मात दे रही दिल्ली की ये जगह

punjabkesari.in Wednesday, Jun 15, 2016 - 08:45 PM (IST)

नई दिल्ली: एक ताजा सर्वे के मुताबिक, दिल्ली स्थित कनॉट प्लेस बिजनेस करने के लिहाज से विश्व की सबसे महंगी जगहों में से सातवें नंबर है। बीते साल इसी लिस्ट में वह छठे स्थान पर था। मुंबई स्थित बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स को इस लिस्ट में 19वें स्थान पर और नरीमन पॉइंट को 34वें स्थान पर रखा गया है।

संपत्ति सलाह की सेवा देने वाली कंपनी सीबीआरई ने अपने ताजा सर्वे में ये रैंकिंग सामने रखी है। सीबीआरई ने एक बयान में कहा, करीब 10 हजार रुपए प्रति स्क्वेयर फुट/वर्ष की दर के हिसाब से नई दिल्ली का केंद्रीय व्यापार स्थल (सीबीडी) कनॉट प्लेस विश्व की प्राइम ऑफिस मार्केट की लिस्ट में सातवें नंबर पर है।
 
इस लिस्ट में शीर्ष पर हांगकांग (सेंट्रल) है, जो विश्व में ऑफिस के लिहाज से सबसे महंगी जगह है। यहां एक स्क्वेयर फुट ऑफिस स्पेस की कीमत 19,493 रुपए प्रति वर्ष है। दूसरे स्थान पर लंदन सेंट्रल है, जहां एक स्क्वेयर फुट ऑफिस स्पेस की कीमत 17,600 रुपए प्रतिवर्ष है। इनके बाद पेइचिंग (फाइनैंस स्ट्रीट), पेइचिंग (सीबीडी) और हॉन्ग कॉन्ग (वेस्ट काउलून) क्रमश: तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं। इनके बाद टोक्यो, कनॉट प्लेस, लंदन-सेंट्रल, न्यू यॉर्क और शंघाई का नंबर आता है।
 
सीबीआरई द्वारा दिसंबर में जारी की गई लिस्ट में लंदन सेंट्रल शीर्ष पर था, जबकि कनॉट प्लेस छठे स्थान पर था। सीबीआरई के दक्षिण एशियाई यूनिट के चेयरमैन और एमडी अंशुमान मैगजीन ने कहा, बीते एक साल में भारत में कमर्शल रियल स्टेट के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आए हैं, सातवें नंबर पर मौजूद कनॉट प्लेस ने बिजनेस करने वालों को अपनी ओर आकर्षित किया है और यहां फ्रंट ऑफिस स्पेस की मांग भी काफी बढ़ी है।
 
उन्होंने कहा, कनॉट प्लेस का दिल्ली के केंद्र में होना और बेहतर कनेक्टिविटी ने यहां बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं के अलावा इंजीनियरिंग फम्र्स को अपनी ओर आकर्षित किया है। सर्वे के मुताबिक इस बार एशिया टॉप 10 बिजनेस मार्केट की लिस्ट में टॉप पर रहा है। शीर्ष 10 में से सात एशिया की ही अलग-अलग देशों की मार्केट हैं। एशिया पैसिफिक रीजन में प्राइम ऑफिस स्पेस की कीमत में विश्व की तुलना में तेजी से वृद्धि हुई है। हालांकि दक्षिण-पूर्व एशिया स्थित सिंगापुर और जकार्ता में प्राइम ऑफिस स्पेस की कीमत में कमी भी देखने को मिली है।

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