बासमती राइस उद्योग को मिले इंट्रा इंसैटिव स्कीम

punjabkesari.in Wednesday, Jan 25, 2017 - 10:22 AM (IST)

लुधियाना: ‘बजट की बात पंजाब केसरी के साथ’ सीरीज में आज हम बात करेंगे पंजाब बासमती राइस इंडस्ट्री की। पंजाब एक एग्रीकल्चर स्टेट होने के मद्देनजर केंद्रीय फूड बैंक में 20 प्रतिशत का योगदान दे रहा है परंतु राइस व चावल के दृष्टिकोण से देखें तो पंजाब बासमती राइस इंडस्ट्री पड़ोसी राज्य हरियाणा के मुकाबले काफी पीछे है। भारत में राइस की कुल वार्षिक खपत 1 लाख टन है।

इसकी इकाइयां जलालाबाद, फाजिल्का, फिरोजपुर, मुक्तसर, कोटकपूरा, बाघापुराना, अमृतसर, तरनतारन, बटाला, गुरदासपुर, पटियाला, संगरूर, पातड़ां, मोगा, फरीदकोट सहित अन्य जिलों में भी इक्का-दुक्का स्थापित हैं। बासमती राइस उद्योग को इंट्रा इंसैटिव स्कीम मिलनी चाहिए। इस सैक्टर से जुड़े कारोबारियों को बजट में कुछ उम्मीदें हैं।

फूड सैक्टर की तरह मिले कम ब्याज पर ऋण
बासमती राइस मिल कंपनियां किसानों द्वारा उगाए चावल की ही मार्कीटिंग करती हैं परंतु राइस मिलों को एग्रो इंडस्ट्री सैक्टर दर्जा न मिलने से इन्हें बैंकों से मिलने वाला कैपिटल सामान्य ब्याज दरों पर ही मिलता है जबकि इसे फूड सैक्टर की तरह कम ब्याज पर ऋण मिलना चाहिए।
-अशोक सेठी, डायरैक्टर पंजाब बासमती राइस एक्सपोर्टर्ज एसो. अमृतसर

रिव्यू हो स्कीम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया मुहिम एवं बासमती चावल के निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से निर्यात पर 3 प्रतिशत इंट्रा स्वैनशन (इंसैंटिव)  स्कीम का लाभ मिलना चाहिए। केन्द्र द्वारा इंट्रा स्वैनशन स्कीम को प्रतिवर्ष रिव्यू किए जाने की जरूरत है। 
-विजय सेतिया, महारानी राइस, अमृतसर-करनाल

इन्कम टैक्स को दें ट्रांजैक्शन बेस टैक्स का स्वरूप

भारत में केवल 2 प्रतिशत लोग ही टैक्स के घेरे में शामिल हैं। इसका मुख्य कारण टैक्स रेश्यो ज्यादा होना है। सरकार को चाहिए कि इन्कम टैक्स प्रणाली को ट्रांजैक्शन बेस टैक्स का स्वरूप देकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को कर के दायरे में लाया जाए जिससे सरकार का रैवेन्यू बढ़ेगा और कारोबारियों को प्लेइंग फील्ड मिलेगा।
-सुमित सिंगला, एस.के. ब्रदर्स, मोगा

ईरान में निर्यात हेतु ज्यादा कंपनियों को मिले लाइसैंस

अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड एग्रीमैंट के तहत ईरान बासमती राइस का बड़ा ग्राहक होने के बावजूद उनकी सरकार ने भारत की केवल 23 कंपनियों को ईरान में निर्यात हेतु लाइसैंस जारी कर रखा है। भारत सरकार को घरेलू राइस मिलों का प्रतिनिधित्व कर ज्यादा कंपनियों को निर्यात लाइसैंस दिलवाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा कारोबारियों को व्यापार का अवसर प्राप्त हो सके।
-अशोक गिरधर, एम.एल. राइस मिल्स, जलालाबाद

अंतर्राष्ट्रीय कार्टल को समाप्त करने में केन्द्र करे हस्तक्षेप

भारत में बासमती राइस की पैदावार का 80 प्रतिशत केवल निर्यात होता है। वहीं पैदावार का 40 प्रतिशत राइस केवल ईरान में ही निर्यात हो रहा है। भारतीय प्रणाली में कमियों के चलते ईरान के व्यापारियों ने कार्टल बनाकर अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड नीतियों को अपना हितकारी बना लिया है। इससे भारतीय कंपनियों का शोषण हो रहा है। सरकार को इसमें हस्तक्षेप कर कार्टल को समाप्त करवाना चाहिए। 
-अशोक ग्रोवर, प्रैजीडैंट पंजाब बासमती राइस मिल्स, जलालाबाद

बासमती राइस की बायबैक गारंटी का हो प्रावधान

राष्ट्रीय हित में सरकार ने कम पानी की खपत वाली बासमती राइस पूसा 1121 की पैदावार को प्रोत्साहित किया। इसी अनुपात में मांग न बढऩे से बासमती राइस मिलों व निर्यातकों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है। सरकार को चाहिए कि पैदावार बढऩे पर राइस मिलों का मनोबल बनाए रखने हेतु सामान्य चावल के दाम पर कुछ बासमती राइस खरीदने की बायबैक गारंटी का प्रावधान रखा जाए ताकि राइस मिलों व निर्यातकों के समक्ष इन्हें न्यूनतम कीमतों से नीचे बेचने की नौबत न आए।
-नरेश गोयल, पातड़ां फूड्स, पातड़ां

जी.एस.टी. टैक्स प्रणाली में शामिल हों टैक्स

बासमती राइस मिलों एवं निर्यातकों पर सरकार द्वारा मार्कीट फीस के साथ 4 प्रतिशत रूरल डिवैल्पमैंट फंड, 3 प्रतिशत पंजाब इंफ्रा डिवैल्पमैंट सैस एवं 5.5 प्रतिशत वैट लगाया जा रहा है जबकि अन्य राज्यों में इस प्रकार के टैक्स न होने से पंजाब की इकाइयों को भारी मार पड़ रही है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि बजट एवं जी.एस.टी. प्रणाली में इन टैक्सों को जी.एस.टी. के अंदर ही शामिल कर सिंगल टैक्स प्रणाली को लागू करे ताकि देश की राइस मिलों को समानांतर प्लेइंग फील्ड मिले। 
-रमन अग्रवाल, जे.आर. एग्रोटैक, गुरदासपुर

नई मंडियों के विकास के लिए चलाएं बासमती जागरूकता अभियान

घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल की मांग स्टैपल व सामान्य चावल की अपेक्षा बहुत कम है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बासमती चावल उपभोक्ता के लिए ज्यादा लाभदायक है। सरकार को नई मंडियों के विकास एवं उपभोक्ताओं की तलाश हेतु बासमती जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। इससे देश व कारोबारियों दोनों को लाभ होगा। चाइना में चावल की ज्यादा खपत के बावजूद वहां बासमती राइस की जागरूकता नहीं है।  
-अरविन्द्र पाल सिंह, लाल किला राइस, अमृतसर


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