ऐपल स्टोर पर मौजूद 87 फीसदी डेवलपर नहीं दे रहे एक भी पाई

punjabkesari.in Friday, Dec 30, 2022 - 03:49 PM (IST)

नई दिल्लीः आपको जानकर ताज्जुब होगा कि ऐपल स्टोर पर मौजूद महज 0.08 फीसदी यानी 21,000 भारतीय ऐप अथवा ऐप डेवलपरों में से महज 17 ही कंपनी को 30 फीसदी कमीशन का भुगतान कर रहे हैं। ऐपल स्टोर पर मौजूद अ​धिकतर यानी करीब 87 फीसदी डेवलपरों से कंपनी को कमीशन ही नहीं मिलता। बड़ी तकनीकी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा को दबाने वाले तरीकों पर वित्त पर स्थायी संसदीय समिति नजर रखती है। उसके पास पहुंचे ऐपल के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। समिति की दिसंबर के आ​खिर में प्रका​शित रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है।

गूगल ने समिति को बताया कि उसके प्ले स्टोर पर मौजूद महज 3 फीसदी भारतीय डेवलपर ही सेवा शुल्क का भुगतान करते हैं। शेष 97 फीसदी डेवलपर प्ले स्टोर के जरिये अपने ऐप का वितरण कर सकते हैं और वे सभी डेवलपर टूल एवं सेवाओं का नि:शुल्क उपयोग कर सकते हैं। गूगल भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के निशाने पर रही है। हाल में प्ले स्टोर नीति के साथ बाजार में अपने वर्चस्व का क​थित तौर पर दुरुपयोग करने के आरोप में गूगल पर जुर्माना लगाया गया था।

गूगल ने समिति के सदस्यों को स्पष्ट किया कि सेवा शुल्क का भुगतान केवल ऐसे डेवलपर करते हैं, जो अपने ऐप के लिए उपयोगकर्ताओं से शुल्क वसूलते हैं अथवा अपने ऐप पर खरीदारी के लिए डिजिटल सामग्री देते हैं और उपयोगकर्ता वहां खरीदारी करते हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ऐपल और गूगल के ऐप स्टोरों पर शुल्क के बारे में दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है। कुछ देशों में ऐप बाजार पर उनकी पकड़ ढीली करने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए कानून लाने की पहल की जा रही है। इससे ऐप स्टोर पर मौजूदगी के बिना ही सॉफ्टवेयर डेवलपर आईफोन या एंड्रॉयड फोन तक पहुंच जाएंगे।

अमेरिका और यूरोप में ऐप की ‘साइडलोडिंग’ की अनुमति देने के लिए कानून को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इससे ऐप डेवलपर ऐपल या गूगल के ऐप स्टोर का उपयोग किए बिना अपने ऐप लोड करा सकेंगे। भारत में भी प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल को साइडलोडिंग की अनुमति देने का आदेश दिया है। वैश्विक स्तर पर चिंता जताई जा रही है कि गूगल और ऐपल यानी दोनों प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियां सॉफ्टवेयर डेवलपरों से कमीशन के रूप में 30 फीसदी तक शुल्क वसूलती हैं और उन्हें केवल अपने भुगतान गेटवे का उपयोग करने के लिए मजबूर करते हुए काफी कमाई कर रही हैं।

ऐपल का कहना है कि यह गलत धारणा है कि सभी ऐप कमीशन देते हैं। कमीशन वसूलने का सिद्धांत अच्छी तरह से परिभाषित है। इसके तहत कमीशन केवल उन्हीं ऐप पर लागू होता है, जो डिजिटल वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री करते हैं न कि भौतिक वस्तुओं और सेवाओं की। विशेषज्ञों ने कहा कि सरल शब्दों में इसका मतलब साफ है कि एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर और पॉलिसीबाजार जैसे लोकप्रिय ऐप 30 फीसदी कमीशन का भुगतान करने के पात्र नहीं हैं।

बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म और भारत की बड़ी गेमिंग एवं म्यूजिक स्ट्रीमिंग कंपनियों को ही कमीशन देना पड़ता है क्योंकि उनकी सेवाओं का डिजिटल रूप से उपभोग किया जाता है। 30 फीसदी कमीशन केवल उन्हीं ऐप पर लागू होता है जो कमीशन चुकाने के बाद 10 लाख डॉलर से अ​धिक कमाते हैं।


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Content Writer

jyoti choudhary

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