बांग्लादेश की 80% आय गारमेंट इंडस्ट्री से, अत्यधिक निर्भरता के कारण महंगाई का संकट बढ़ा
punjabkesari.in Monday, Aug 12, 2024 - 01:30 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, खासकर गारमेंट निर्यात के कारण। इस क्षेत्र पर ध्यान देने से देश का विकास तेजी से हुआ और करोड़ों लोग गरीबी से बाहर निकले लेकिन इस सप्ताह शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के साथ बांग्लादेश को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई और बेरोजगारी की समस्याएं बढ़ गई हैं और गारमेंट इंडस्ट्री पर अत्यधिक निर्भरता ने संकट को गहरा कर दिया है।
बांग्लादेश की 80 प्रतिशत से अधिक आय गारमेंट निर्यात से आती है। महामारी के बाद गारमेंट की मांग में गिरावट आई, जिससे बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति और भी कठिन हो गई है।
अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस, को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अर्थव्यवस्था को सुधारने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। कनाडा के बैलिसिले इंटरनेशनल अफेयर्स स्कूल के साद हमादी का कहना है कि कानून का शासन और जवाबदेह सरकार की बहाली अत्यंत आवश्यक है।
1980 से आर्थिक सुधार और गारमेंट इंडस्ट्री
1980 से पहले बांग्लादेश में आर्थिक सुधार शुरू हुए थे और गारमेंट इंडस्ट्री की केंद्रीय भूमिका बनी रही लेकिन 2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद, देश का ध्यान केवल गारमेंट इंडस्ट्री पर केंद्रित हो गया और दुनियाभर के बाजारों में बांग्लादेश के निर्यात का विस्तार हुआ।
सस्ते परिधानों ने Zara और H&M जैसे फास्ट फैशन ब्रांड्स सहित ग्लोबल क्लॉथिंग रिटेलर्स का ध्यान खींचा। इस मांग से लाखों लोगों, खासकर महिलाओं को काम मिला। हसीना ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश किया है। इससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भरोसा हुआ कि बांग्लादेश पर निर्भर रहा जा सकता है। इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप में बांग्लादेश मामलों के सलाहकार थॉमस कीन कहते हैं, स्थिरता ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है। वे कहते हैं, यदि वर्कर्स की हड़ताल, बिजली कटौती और अन्य कारण चलते रहे तो बांग्लादेश को गारमेंट सेक्टर में विदेशी बिजनेस नहीं मिलेगा।
महामारी के बाद समस्याएं
महामारी के बाद जब गारमेंट एक्सपोर्ट पटरी पर लौटा तब बांग्लादेश कई अन्य समस्याओं का सामना कर रहा था। नौकरशाही की ढील और टैक्स चुकाने में लोगों की अनिच्छा के कारण बांग्लादेश में टैक्स संग्रह काफी कम है। इस वजह से सरकार के पास साधनों की कमी है। बांग्लादेश की विकास दर अब भी अच्छी है, लेकिन आय में असमानता बहुत ज्यादा है। ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश के डायरेक्टर इफ्तिखार जमां कहते हैं, प्रधानमंत्री के निकट समझे जाने वाले कई बिजनेसमैन द्वारा मनी लॉन्डरिंग करने और कर्ज लेने में धोखाधड़ी ने भी सरकार के प्रति असंतोष के बीज बोए हैं।
महामारी के बाद से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी
दस साल से अधिक समय तक बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से दौड़ती रही। कई बार तो विकास दर 7 प्रतिशत से अधिक रही। इसमें गारमेंट एक्सपोर्ट की अहम भूमिका रही है। महामारी से दुनियाभर में कपड़ों की मांग कम हो गई थी। यूक्रेन पर रूस के ह हमले ने सप्लाई चेन को अस्त-व्यस्त कर डाला। दूसरे देशों से खाद्य आयात महंगा हो गया। ईंधन के मूल्यों में काफी बढ़ोतरी हुई। एक सेक्टर पर निर्भरता के कारण दूसरे स्रोतों से बांग्लादेश को इतनी अधिक आय नहीं थी कि आयातट का बिल चुकाया जा सके। महंगाई बेकाबू हो गई। कमजोर करेंसी को सहारा देने के लिए बांग्लादेश ने विदेशी मुद्रा भंडार को खाली कर दिया। उसे 2022 में मजबूर होकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेना पड़ा।