आर्थिक व मानसिक रूप से सशक्त बन रही महिलाएं

punjabkesari.in Thursday, Mar 10, 2022 - 04:38 AM (IST)

भारत में स्त्री को शक्ति के स्वरूप में लिया जाता है, यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन मुगलों, अंग्रेजों और बाद के कालखंड में शक्ति स्वरूपा की सामाजिक गरिमा को चोट पहुंचाई गई। लगातार सांस्कृतिक आक्रमणों के चलते महिला शक्ति, जो भारत की सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण के तौर पर जानी और पहचानी जाती थी, की उपयोगिता को समाप्त किए जाने का भरसक प्रयत्न किया गया। 

 

हमारे गौरवशाली इतिहास के कालखंड में बहुत-सी मातृशक्तियों के उदाहरण उपलब्ध हैं, जिन्होंने समाज को दिशा दिखाने का काम किया है। जबकि प्राचीन समय से विदेशों या सैमेटिक (यहूदी) प्रभाव वाले स्थानों में महिलाओं को मूल अधिकार भी बड़ी मुश्किल से मिलते थे। 2014 के बाद मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में एक बार फिर से महिलाओं को अवसर मिला है, आज वे मालकिन की भूमिका में आई हैं और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कंधे से कंधा मिला कर कदम बढ़ा रही हैं। 

 

पाश्चात्य देशों में शासन और सुधार की बात तो छोड़ ही दीजिए वोटिंग और पूजा के अधिकार से भी महिलाएं वंचित ही रहीं। जबकि भारतीय दर्शन के प्रचारक स्वामी विवेकानंद का स्पष्ट मानना था कि  ‘एक व्यक्ति को पढ़ाओगे, तो एक व्यक्ति ही शिक्षित होगा, लेकिन एक स्त्री को पढ़ाओगे, तो पूरा परिवार शिक्षित होगा।’ देश की आजादी के बाद सामी विचारों के प्रभाव में रहने के कारण सरकारों ने भी महिलाओं की स्थिति के संबंध में बहुत धीमी गति या नगण्य काम किए, जिसके परिणामस्वरूप अनगिनत सामाजिक कुरीतियों का सृजन हुआ जिससे महिलाओं की सामाजिक स्थिति नीचे खिसकती गई। हालांकि भारतीय सामाजिक दृष्टि के प्रभाव के कारण समय-समय पर सामाजिक चेतना में बदलाव होते रहने पर भारत में इसका दुष्प्रभाव बहुत अधिक नहीं हुआ। 

 

सरकारों ने दबाव में ही कुछ न कुछ ऐसे प्रयत्न किए जिससे यह दिखे कि सरकार महिला सशक्तिकरण को लेकर गंभीर है। 2014 के बाद की इस दिशा में वास्तविकता के साथ धरातल पर क्रियान्वयन की गति बढ़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय विचारों को महत्व दिया जिसका परिणाम आज हमारे सामने है। स्वाभिमान खो चुकी भारतीय महिला अस्मिता में चेतना आई। सामाजिक और आर्थिक बदलावों को लेकर शुरू की गई योजनाओं ने महिला को घर की मालकिन की भूमिका देने का काम किया है।
 

मोदी सरकार की योजनाओं का मिला लाभ : दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र में सत्ता संभालने के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए। वर्ष 2017 में महिला शक्ति केंद्र योजना शुरू की गई। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को सामाजिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त करना था, जिसमें आर्थिक आत्मनिर्भरता भी शामिल है। स्व-रोजगार के लिए चलाई जा रही ‘मुद्रा लोन’ योजना के 75 प्रतिशत ऋण महिलाओं को दिए गए। देश में ‘फ्री सिलाई मशीन’ योजना वर्ष 2021 में शुरू की गई। इसका  उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को स्व-रोजगार के लिए प्रेरित करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करना था। अब देश के हर क्षेत्र में महिलाओं की राष्ट्र समृद्धि के कार्य में भागीदारी बढ़ रही है। 

 

मिल गईं ‘मिसिंग विमन’ : विकासशील देशों में लिंगानुपात में महिलाओं की दयनीय स्थिति को देखकर ही नोबेल पुरस्कार से स मानित अर्थशास्त्री अमत्र्य् सेन ने ‘मिसिंग विमन’ शब्दों का प्रयोग किया था। लेकिन बेटियों के शिक्षित और आर्थिक रूप से सशक्त होने से देश में ‘मिसिंग विमन’ मिल गईं। प्रति हजार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की सं या  में बढ़ौतरी हुई। नैशनल फैमिली एंड हैल्थ सर्वे-5 के मुताबिक देश में महिलाओं की सं या  1000 पुरुषों के मुकाबले 1020 हो गई है। ऐसा पहली बार हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 940 थी। 

 

लोगों को पता होना चाहिए कि भारत में प्राचीन काल में महिलाएं न केवल शैक्षिक रूप से, बल्कि आर्थिक रूप से भी सशक्त थीं। उन्हेें संपत्ति में बराबरी का अधिकार प्राप्त था। यह वैदिक काल से था और इसका उत्कर्ष मगध काल में नजर आता है। मगध के पतन के बाद छोटे-छोटे राज्यों  का उदय हुआ और वे वर्चस्व के लिए आपस में लडऩे लगे। इससे देश धीरे-धीरे कमजोर होने लगा और विदेशी ताकतों को भारत में प्रवेश करने का मौका मिला। वे भारत पर आक्रमण करने लगे और अंतत: 12वीं सदी के अंत में वे भारत में प्रवेश कर गए। इसके साथ ही महिलाओं की स्थिति भी दयनीय हो गई। 

 

भारत विश्व में सिंह की तरह गर्व से मस्तक उठाए रख सके, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बेटियों को फिर से आर्थिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण योजना, मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति के माध्यम से महिलाओं को सशक्त किया। लगभग 12 करोड़ गरीबों के घरों में शौचालय का नि:शुल्क निर्माण, पी.एम. आवास योजना के माध्यम से लगभग 11 करोड़ घर और लगभग 10.5 करोड़ घरों में गैस कनैक्शन देकर, मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक को खत्म कर, आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक इलाज की सुविधा और कार्यरत गर्भवती महिलाओं का अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने से महिलाओं का मानसिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण किया गया है। (लेखक बिहार विधान परिषद के सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी एवं प्रवक्ता हैं)-डॉ. संजय मयूख


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