पाकिस्तान भारत को देता रहेगा ‘हजार घाव’
punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 05:54 AM (IST)

एक नव-विवाहित दुल्हन की तस्वीर, जिसके हाथ में पारंपरिक चूड़ा या चूडिय़ां अभी भी हैं, अपने मृत पति के बगल में बैठी है। पहलगाम में उन क्रूर लोगों द्वारा किए गए नरसंहार की एक स्थायी छवि बनी रहेगी, जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया है। यह पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित पाकिस्तानी आतंकवादियों का काम था, इसमें कोई संदेह नहीं है। कोई भी कश्मीरी मुसलमान, भले ही वह आतंकवादी ही क्यों न हो, विशेष रूप से उन पर्यटकों को निशाना नहीं बना सकता था, जो पिछले आधे दर्जन वर्षों से कश्मीर की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान दे रहे थे।
आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि इस साल पर्यटन सीजन की शुरूआत और भी बेहतर हुई है और आने वाले गर्मियों के महीनों में यह सभी रिकॉर्ड तोडऩे के लिए तैयार है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि जबकि पहले हमले तीर्थयात्रियों और प्रवासी मजदूरों पर हुए थे, इस बार विशेष रूप से पर्यटकों को निशाना बनाया गया था। जाहिर है कि पर्यटकों पर हमला, जिसमें केवल पुरुषों को धार्मिक आधार पर निशाना बनाया गया था, जबकि महिलाओं और बच्चों को छोड़ दिया गया था, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमरीका के उप-राष्ट्रपति जे.डी. वेंस की यात्रा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से किया गया था। उल्लेखनीय है कि कश्मीर में इससे पहले भी छत्तीसिंहपुरा में रहने वाले सिखों का नरसंहार हुआ था जो वर्ष 2000 में तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की यात्रा के दौरान हुआ था।
हमारे खुफिया और सुरक्षा बलों को उप-राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान सतर्कता बढ़ा देनी चाहिए थी। हालांकि, इस तरह के हमले के लिए लंबे समय से योजना बनाने की आवश्यकता होती है और निश्चित रूप से पाकिस्तानी सेना की सक्रिय भागीदारी के बिना यह संभव नहीं हो सकता था। नरसंहार स्थल से गोले और अन्य गोला-बारूद की बरामदगी ने पाकिस्तानी सेना प्रतिष्ठान की भागीदारी और समर्थन के बारे में कोई संदेह नहीं छोड़ा है।
यह हमला किसी और के नहीं बल्कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के भड़काऊ बयानों के बाद हुआ है, जिन्होंने 16 अप्रैल को इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कश्मीर को अपने देश की ‘गले की नस’ बताया था। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को दिए जाने वाले महत्व और देश की सामूहिक मानसिकता में कश्मीर के प्रति जुनून को उजागर करते हुए उन्होंने कहा था,‘‘यह हमारी गले की नस थी,यह हमारी गले की नस है, हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को भारतीय कब्जे के खिलाफ उनके वीरतापूर्ण संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे।’’जो व्यक्ति यह मानता है कि कश्मीर उसके देश के सामने सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है, उसके लिए यह स्पष्ट है कि वह और उसकी सरकार कश्मीर में सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए ऐसी सभी गतिविधियों की योजना बना रही होगी और उनका समर्थन कर रही होगी। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एल.ई.टी.) की शाखा ‘द रेजिस्टैंस फ्रंट’ (टी.आर.एफ.) ने पहलगाम के पास पर्यटकों पर हमले की जिम्मेदारी ली है।
सुरक्षा बलों पर पथराव की घटनाएं, जो लगभग दैनिक आधार पर रिपोर्ट की जाती थीं और हड़ताल करने के लगातार आह्वान ने विकास कार्यों में तेजी लाने और शैक्षणिक संस्थानों को खोलने, व्यापारिक गतिविधियों को बहाल करने और पर्यटकों की वापसी जैसे सामान्य स्थिति की वापसी के लिए जगह दी थी। पाकिस्तान की सत्ता के लिए शायद यह बहुत ज्यादा था। इसके अलावा, उस देश में विद्रोही गतिविधियों में भी वृद्धि हुई है। देश के रक्षा बलों को एक बार फिर से उभर रहे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से निपटने में अपनी असमर्थता के कारण घरेलू जांच और दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिसने देश के उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों में नागरिक अधिकारियों के नियंत्रण को चुनौती दी है। यह बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा बढ़ते हमलों का भी सामना कर रहा है, जिसने हाल ही में 380 लोगों के साथ एक यात्री ट्रेन का अपहरण कर लिया था।
पाकिस्तानी भारत पर बलूची विद्रोहियों का समर्थन करने का आरोप लगाते रहे हैं और कई लोग पहलगाम में हुए हमले को ट्रेन के अपहरण और कई यात्रियों की हत्या का ‘बदला’ मानते हैं। यह विचार प्रक्रिया एक प्रसिद्ध पाकिस्तानी लेखिका आयशा सिद्दीका के हाल ही में दिए गए साक्षात्कार में भी परिलक्षित हुई, जिनकी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के साथ सहानुभूति जग-जाहिर है। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने मुंबई हमलों को महत्वहीन बताया,जिहादी हिंसा को ‘रणनीतिक’ बताया और यहां तक कि, शायद अनजाने में, मुंबई आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार कर लिया। हालांकि इस तरह का हमला लंबे समय के बाद हुआ है, लेकिन यह कोई खतरे की घंटी नहीं है, बल्कि यह इस बात की पुष्टि है कि पाकिस्तान भारत को ‘हजार घाव’ देने की कोशिश करता रहेगा, जैसा कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था और जिसे अब भारत के खिलाफ पाकिस्तानी सेना द्वारा अपनाया जाने वाला सैन्य सिद्धांत माना जाता है।-विपिन पब्बी-विपिन पब्बी