क्या वैंकेया नायडू बनेंगे देश के अगले राष्ट्रपति

punjabkesari.in Saturday, May 27, 2017 - 11:48 PM (IST)

सब कुछ अगर योजनाबद्ध तरीके से चला तो वैंकेया नायडू देश के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। सियासत की नब्ज पढऩे वाले मोदी को इस बात का बखूबी इल्म है कि एक दक्षिण भारतीय को रायसीना हिल्स में काबिज कराने पर दक्षिण भारतीय राज्यों में इसका अच्छा संकेत जाएगा। सनद रहे कि इन दिनों दक्षिण के राज्यों में भाजपा के कदम जमाने के लिए मोदी व शाह ने पूरा दम लगा रखा है। अभी दो रोज पूर्व नए राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर मोदी ने राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेतली व नितिन गडकरी के साथ एक अहम बैठक की थी। 

सूत्र बताते हैं कि अपने वरिष्ठ मंत्रियों की इस बैठक में मोदी ने अपना पत्ता खोलते हुए वैंकेया के नाम को आगे किया और इस पर साथी मंत्रियों की राय ली। सूत्र यह भी बताते हैं कि मोदी पर वैंकेया का एक पुराना कर्ज है। जब मोदी गुजरात दंगों के झंझावात से जूझ रहे थे तब वैंकेया पार्टी अध्यक्ष थे। माना जाता है कि उस समय मोदी और हिरेन पंड्या के बीच तनातनी थी। सूत्र बताते हैं कि तब मोदी को पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने भरसक यह समझाने की कोशिश की थी कि ‘वह अनावश्यक रूप से पंड्या को अपना प्रैस्टीज इश्यू न बनाएं।’ पर समझा जाता है कि इस पर मोदी ने जवाब दिया कि ‘गुनाह किसी और का तथा गुनहगार मुझे ठहराया जा रहा है?’ 

सूत्रों का यह भी दावा है कि तब मोदी की भावनाओं की कद्र करते हुए तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष वैंकेया नायडू ने हिरेन पंड्या को गुजरात चुनाव से दूरी बनाए रखने के निर्देश दिए थे। मोदी अपने ऊपर इसे वैंकेया का अहसान मानते हैं, चुनांचे यही वजह है कि एक असफल संसदीय कार्य मंत्री साबित होने के बावजूद आज वैंकेया के पास शहरी विकास व सूचना प्रसारण जैसे दो अहम मंत्रालयों का जिम्मा है। वहीं पार्टी का एक तबका ऐसा भी है जो यह अंदेशा जता रहा है कि अगर एक बार राष्ट्रपति पद के लिए वैंकेया का नाम आगे आया तो उनके पुराने किस्से भी आगे आ जाएंगे।

एक डॉक्टर भाजपा के अंदर
यह शख्स कभी दिल्ली के अपोलो अस्पताल में एक मामूली डाक्टर थे, आज उनके हाथ दो राज्यों में भगवा सत्ता की नब्ज है। वह पार्टी अध्यक्ष के बेहद दुलारे हैं, सो पार्टी संगठन में न सिर्फ उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है अपितु दो अहम राज्यों का प्रभारी भी बनाया गया है। इन दोनों राज्यों में तो बाकायदा भाजपा की सरकार भी है। उन्हें पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय 14, अशोक रोड में एक दमकता-चमकता कमरा दिया गया है, जहां इनकी सियासी दुकान चल निकली है। सत्ता का दर्प व उसकी बादशाहत इनके हाव-भाव से भी झलकने लगी है। 

उन्होंने भाजपा शासित एक उत्तर भारतीय राज्य के तमाम सांसदों को एक अघोषित फरमान जारी किया कि वे उनसे मिलने पार्टी दफ्तर में पधारें और उनसे दिशा-निर्देश हासिल करें। पर उसी प्रदेश से आने वाले एक दबंग सांसद ने डॉक्टर साहब के आदेश को शिरोधार्य करने से मना कर दिया और कहा कि उन्हें जो दिशा-निर्देश चाहिएं वे पार्टी अध्यक्ष व प्रधानमंत्री से मिल जाते हैं, चुनांचे हर जगह सिर झुकाने और पत्रम-पुष्पम चढ़ाने की क्या आवश्यकता है? दोनों के दरम्यान तलवारें ङ्क्षखच गई हैं, डॉक्टर साहब ने सांसद महोदय के समक्ष महत्री चुनौती उछाल दी है कि ‘अगली बार पार्टी टिकट लेकर दिखाना।’

चिदम्बरम पर देशद्रोह का मुकद्दमा चल सकता है
केन्द्र सरकार पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और उनके पुत्र काॢत चिदम्बरम की कुंडली खंगालने में जुटी है। सूत्रों के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो आने वाले दिनों में चिदम्बरम पर देशद्रोह का मुकद्दमा भी चल सकता है। सनद रहे कि भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी लम्बे समय से चिदम्बरम पर देशद्रोह का मुकद्दमा चलाने की मांग कर रहे हैं। स्वामी ने ये साक्ष्य जांच एजैंसियों के समक्ष भी पेश किए हैं कि जब 1996 में केन्द्र में देवेगौड़ा की सरकार थी और चिदम्बरम उस सरकार के वित्त मंत्री थे तो उन्होंने भारतीय करंसी के लिए कागज खरीदने और उसे छापने का ठेका एक ब्रिटिश कम्पनी ‘दे ला रू’ को दे दिया था, चिदम्बरम पर यह भी आरोप लगते हैं कि उन्होंने इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले इस बारे में अपने प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से भी पूछने की जरूरत नहीं समझी।

सवाल यह भी उठते हैं कि क्या यह महज इत्तेफाक था कि ‘दे ला रू’ ही वह कम्पनी थी जो पाकिस्तानी मुद्रा भी छापती थी। सो, कहा जाता है कि शत्रु देश पाकिस्तान को भारतीय करंसी का कागज हासिल करने की इससे एक आसान राह मिल गई और फिर भारत में कश्मीर के रास्ते पाक प्रायोजित जाली नोटों के पहुंचने का एक सिलसिला भी कायम हो गया, जिस पर आज भी ठीक तरीके से काबू नहीं पाया जा सका है। पी.एम.ओ. से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों पी.एम. ने अपने वित्त मंत्री अरुण जेतली को बुला कर उनसे दो टूक कह दिया है कि चिदम्बरम के खिलाफ  सारे कागजात ठीक से जुटाए जाएं और उन्हें जांच एजैंसियों के हवाले किया जाए। 

शॉटगन का सुशील मोदी के विरुद्ध मोर्चा
अपनी पार्टी से नाराज चल रहे सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार भाजपा के महाबली सुशील मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शॉटगन चाहते हैं कि पार्टी हाईकमान अविलम्ब सुशील मोदी की तमाम पार्टी पदों से छुट्टी करे। शॉटगन के समर्थन में ‘शत्रुघ्न सिन्हा फैंस क्लब’ जल्द ही सुशील मोदी को हटाने के लिए एक बड़े हस्ताक्षर अभियान का श्रीगणेश कर रहा है, इसके बाद इन हस्ताक्षरों को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के पास भेजा जाएगा ताकि वह बिहार की जनता की भावनाओं को समझ सकें। सूत्र बताते हैं कि शत्रु सुशील मोदी से इस बात को लेकर खफा हैं कि उन्होंने वक्त-बेवक्त शत्रु पर कई आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं पर शत्रु की दिक्कत है कि बिहार भाजपा का कोई भी बड़ा नेता उन्हें समर्थन देने के लिए आगे नहीं आ रहा है।        


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